ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव: बाजार पर असर और निवेशकों की रणनीति
ऑपरेशन सिंदूर की खास बात यह है कि यह पूरी तरह लक्षित कार्रवाई थी, जिसमें बिना किसी उकसावे के केवल चिन्हित आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया और नागरिकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया. विशेषज्ञों के अनुसार, इस सैन्य कार्रवाई के बावजूद शेयर बाजार ने संतुलित रुख दिखाया है. सूचकांकों में हल्का उतार-चढ़ाव जरूर देखने को मिला, लेकिन गंभीर गिरावट की आशंका नहीं जताई जा रही है क्योंकि ऑपरेशन की प्रकृति संयमित और सीमित रही.

भारत द्वारा 1971 के युद्ध के बाद पहली बार पाकिस्तान की सरजमीं पर की गई सबसे गहरी और सटीक सैन्य कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर ने दोनों देशों के बीच तनाव को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है. यह हमला भारत के पहलगाम आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 से अधिक लोग मारे गए थे. भारत ने इस ऑपरेशन में सिर्फ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया और पाकिस्तानी नागरिक या सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को नुकसान नहीं पहुंचाया. हालांकि, पाकिस्तान ने भारत के इस दावे को खारिज कर दिया है.
बाजार की स्थिति और प्रतिक्रिया
ऑपरेशन के बावजूद भारतीय शेयर बाजार पर ज्यादा नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा. शुरुआती गिरावट के बाद, बाजार ने खुद को संभाल लिया. सेंसेक्स में सुबह 692 अंकों की गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन जल्द ही यह 200 अंकों की बढ़त के साथ 80,845 के स्तर पर पहुंच गया. निफ्टी 50 में भी मामूली उतार-चढ़ाव रहा. मिडकैप इंडेक्स स्थिर रहा और स्मॉलकैप इंडेक्स में हल्की गिरावट देखी गई.
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की सैन्य कार्रवाई सटीक और नियंत्रित थी, जिससे बाजार को कोई बड़ा झटका नहीं लगा. जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के प्रमुख वी. के. विजयकुमार के अनुसार, बाजार पहले से इस ऑपरेशन की संभावना को लेकर तैयार था और इसकी प्रतिक्रिया बहुत संतुलित रही.
पाकिस्तान की संभावित प्रतिक्रिया और बाजार पर असर
हालांकि भारत ने तनाव को और बढ़ाने से बचने की नीति अपनाई है, लेकिन विशेषज्ञों को लगता है कि पाकिस्तान अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई कर सकता है. इसके बावजूद, पाकिस्तान की सीमित आर्थिक क्षमता लंबी अवधि के संघर्ष की संभावना को कमजोर करती है.
ऐतिहासिक साक्ष्य और बाजार की लचीलापन
इतिहास यह दर्शाता है कि भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध या तनाव के समय भी भारतीय शेयर बाजार लचीला रहा है. कारगिल युद्ध (1999) के दौरान बाजार में केवल 0.8% की गिरावट हुई थी. 26/11 मुंबई हमलों के समय भी सेंसेक्स में वृद्धि दर्ज की गई थी. पुलवामा हमले के समय बाजार में कुछ गिरावट जरूर देखी गई, लेकिन वह जल्द ही सामान्य हो गया.
निवेशकों के लिए सलाह: क्या करें?
विशेषज्ञों की राय है कि मौजूदा हालात में निवेशकों को घबराने की बजाय लार्ज-कैप शेयरों में निवेश बनाए रखना चाहिए. स्मॉल और मिड-कैप सेगमेंट में अस्थिरता अधिक रह सकती है. रक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, फार्मा, और FMCG सेक्टर को ऐसे समय में रक्षात्मक निवेश के रूप में देखा जा सकता है.
बोनांजा ग्रुप के विश्लेषक राजेश सिन्हा के अनुसार, अनिश्चितता के बीच गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेश से निवेशकों को सुरक्षा मिल सकती है. वहीं, ट्रेडजिनी के त्रिवेश डी ने कहा कि बाजार में गिरावट को अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए. खासकर उन क्षेत्रों में जो भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बीच स्थिरता दिखाते हैं.