कंडोम पर GST हटवाने के लिए IMF के आगे गिड़गिड़ाया पाकिस्तान, लेकिन नहीं मिली राहत...अब सिर्फ यही रास्ता
IMF ने पाकिस्तान की कंडोम और अन्य प्रजनन स्वास्थ्य उत्पादों पर 18% GST हटाने की मांग खारिज कर दी है. बढ़ती आबादी के बावजूद फंड ने राजस्व, वित्तीय अनुशासन और टैक्स प्रणाली कमजोर होने का हवाला देते हुए फिलहाल कोई राहत देने से इनकार किया है.

नई दिल्लीः पाकिस्तान की सरकार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से एक बड़ा झटका लगा है. देश में बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने और प्रजनन स्वास्थ्य उत्पादों को सस्ता बनाने की कोशिशों के बीच IMF ने गर्भनिरोधक उत्पादों, खासतौर पर कंडोम पर लगाए गए 18 प्रतिशत सामान्य बिक्री कर (GST) को हटाने की मांग ठुकरा दी है. यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब पाकिस्तान दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ती जनसंख्या वाले देशों में गिना जा रहा है और सरकार जन्म नियंत्रण उपायों को बढ़ावा देने की बात कर रही है.
IMF का सख्त रुख
IMF का साफ कहना है कि किसी भी तरह की टैक्स छूट या कर में कटौती पर विचार केवल अगले बजट के दौरान ही किया जा सकता है. फंड ने पाकिस्तान सरकार को आगाह किया है कि अभी इस तरह की राहत देने से देश की कर वसूली प्रणाली कमजोर हो सकती है. इसके साथ ही तस्करी और टैक्स चोरी का जोखिम भी बढ़ सकता है. IMF का मानना है कि पाकिस्तान पहले से ही राजस्व लक्ष्यों को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है और इस वक्त किसी भी प्रकार की छूट वित्तीय अनुशासन को नुकसान पहुंचा सकती है.
IMF की आपत्ति
पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) ने IMF के वॉशिंगटन स्थित मुख्यालय को ईमेल और वर्चुअल बैठकों के जरिए GST हटाने का प्रस्ताव भेजा था. सरकार का आकलन था कि इससे सालाना करीब 40 से 60 करोड़ पाकिस्तानी रुपये के राजस्व का नुकसान होगा, जिसे वह सामाजिक लाभ के रूप में देख रही थी. हालांकि IMF ने न सिर्फ कंडोम, बल्कि महिलाओं के सैनिटरी पैड और शिशु डायपर जैसे जरूरी उत्पादों पर टैक्स राहत देने के प्रस्तावों का भी विरोध किया है.
जनसंख्या विस्फोट की गंभीर चुनौती
IMF का यह फैसला ऐसे दौर में आया है, जब पाकिस्तान गंभीर जनसांख्यिकीय संकट का सामना कर रहा है. देश की जनसंख्या वृद्धि दर करीब 2.55 प्रतिशत है, जिसके चलते हर साल लगभग 60 लाख लोग आबादी में जुड़ जाते हैं. बढ़ती आबादी का सीधा असर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और अन्य बुनियादी सेवाओं पर पड़ रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर प्रजनन स्वास्थ्य उत्पाद सुलभ और सस्ते नहीं बनाए गए, तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं.
IMF बेलआउट की शर्तें
पाकिस्तान इस समय IMF के बेलआउट कार्यक्रम के तहत है, जिसमें टैक्स बढ़ाने, सरकारी खर्च सीमित करने और राजस्व संग्रह बढ़ाने जैसी सख्त शर्तें लागू हैं. IMF अब तक पाकिस्तान को करीब 3.3 अरब डॉलर की राशि जारी कर चुका है और इसके बाद 1.2 अरब डॉलर की अतिरिक्त सहायता को भी मंजूरी दी गई है. इन पैसों के बदले पाकिस्तान को बार-बार ‘मिनी बजट’ लाकर टैक्स बढ़ाने पड़े हैं.
गरीब तबके पर बढ़ता बोझ
पाकिस्तान सरकार का तर्क है कि IMF के दबाव में लगाए गए 18 प्रतिशत GST ने गर्भनिरोधक और अन्य जरूरी स्वास्थ्य उत्पादों को आम लोगों की पहुंच से बाहर कर दिया है. सरकार का कहना है कि ये उत्पाद अब लगभग लग्जरी वस्तुओं की तरह महंगे हो गए हैं, जिसका सबसे ज्यादा असर गरीब और निम्न आय वर्ग पर पड़ रहा है. इसके बावजूद IMF फिलहाल अपने रुख पर कायम है.
आगे क्या?
अब पाकिस्तान सरकार के सामने दोहरी चुनौती है. एक तरफ बढ़ती आबादी और दूसरी ओर IMF की सख्त आर्थिक शर्तें. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आने वाले बजट में इन उत्पादों पर टैक्स में राहत नहीं दी गई, तो देश की जनसंख्या और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं और गहराती जा सकती हैं.


