क्या घटेंगी ब्याज दरें? ट्रंप के टैरिफ प्लान के बाद RBI की बैठक पर दलाल स्ट्रीट की नजर
आरबीआई की 6 अगस्त की नीति बैठक और प्रमुख कंपनियों की तिमाही आय के बीच बाजार में अस्थिरता बनी हुई है. अमेरिका के टैरिफ और रूस प्रतिबंधों से बाजार दबाव में है, जबकि विदेशी निवेश की निकासी और समेकन की संभावना है. भारत-अमेरिका के संभावित समझौते से सुधार की उम्मीद जताई जा रही है.

आरबीआई की 6 अगस्त को होने वाली मौद्रिक नीति बैठक को लेकर बाजार में भारी उत्सुकता है. इस बैठक में ब्याज दरों, मुद्रास्फीति, तरलता एवं आर्थिक विकास को लेकर लिए गए निर्णयों से निवेशकों की रणनीतियों पर प्रभाव पड़ेगा. रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजीत मिश्रा के अनुसार, भारती एयरटेल, डीएलएफ, बजाज ऑटो, हीरो मोटोकॉर्प, टाटा मोटर्स, भारतीय स्टेट बैंक और भारतीय जीवन बीमा निगम जैसे बड़े संस्थानों की तिमाही रिपोर्ट भी बाजार की धारणा को प्रभावित करेंगी.
वैश्विक आर्थिक संकेत भी महत्वपूर्ण
मौजूदा समय में एचएसबीसी जैसी प्रमुख वित्तीय संस्थाओं की सेवाओं की रिपोर्ट, समग्र पीएमआई (प्रोक्योरमेंट मैनेजमेंट इंडेक्स) डेटा, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता से जुड़ी खबरें भी बाजार की अस्थिरता में योगदान दे रही हैं. स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर बताते हैं कि आरबीआई की नीति बैठक एक ऐसे समय में हो रही है जब घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अनिश्चितता बढ़ी हुई है.
टैरिफ वृद्धि ने बढ़ाई बाजार की चिंता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आने वाले वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा और रूस के साथ ऊर्जा तथा रक्षा क्षेत्र के व्यापार पर लगे प्रतिबंधों ने भारतीय बाजारों में नकारात्मक प्रभाव डाला है. जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि ये अप्रत्याशित टैरिफ वृद्धि ने अल्पकालिक अवधि में बाजार की धारणा को कमजोर किया है.
पिछले सप्ताह की बाजार स्थिति
पिछले सप्ताह भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखी गई. सेंसेक्स 863.18 अंक (1.05%) गिरकर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 271.65 अंक (1.09%) टूट गया. अकेले शुक्रवार को ही सेंसेक्स में 585.67 अंक की गिरावट दर्ज की गई और यह 80,599.91 के स्तर पर बंद हुआ. निफ्टी भी 203 अंक गिरकर 24,565.35 पर पहुंच गया.
आगे की संभावनाएं
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका के अनुसार, टैरिफ की घोषणा, वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही की मिली-जुली आय रिपोर्ट और विदेशी निवेशकों की निकासी के चलते भारतीय शेयर बाजार फिलहाल समेकन की स्थिति में रह सकते हैं. हालांकि, विश्लेषक यह भी मानते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच संभावित समझौते से बाजार की धारणा बेहतर हो सकती है और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) प्रवाह में सुधार आ सकता है.


