कौन हैं ये एक्टर, जिसकी शो में हुई 'मौत' के बाद घर के बाहर पहुंचीं थीं महिलाएं, फूट-फूटकर रोए फैंस?
'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' ने 2000 में जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की, खासकर तुलसी (स्मृति ईरानी) और मिहिर (अमर उपाध्याय) के किरदारों ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई. इस शो का एक किस्सा ऐसा भी हैं जिसने उस वक्त कई लोगों को सदमे में डाल दिया था.

एक समय था जब लोग सिनेमा से ज्यादा टीवी पर सीरियल और फिल्में देखना पसंद करते थे. साल 2000 में टीवी मनोरंजन का सबसे बड़ा जरिया हुआ करता था. उस दौर में कई शोज ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बना ली थी. खासतौर पर घर की महिलाओं के लिए उनके पसंदीदा सीरियल किसी भी काम से ज्यादा जरूरी हुआ करते थे.
‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ की धूम
साल 2000 में जब ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ शुरू हुआ, तो इस शो ने बहुत ही कम समय में घर-घर में अपनी खास पहचान बना ली. शो में लीड रोल में स्मृति ईरानी (तुलसी) और अमर उपाध्याय (मिहिर) थे. शो की लोकप्रियता इतनी ज्यादा थी कि हर एपिसोड दर्शकों के लिए किसी इमोशनल सफर से कम नहीं होता था.
जब मिहिर की मौत ने दर्शकों को तोड़ दिया
शो में एक ऐसा मोड़ आया जब तुलसी के पति मिहिर की मौत दिखाई गई. जब यह एपिसोड ऑन एयर हुआ तो लोगों के बीच हंगामा मच गया. कई दर्शकों ने तो मिहिर के बचने की दुआएं तक की थी. लेकिन जब मिहिर का अंत दिखाया गया, तो मानो दर्शकों के दिलों पर पहाड़ टूट पड़ा.
मिहिर की मौत पर लोगों की जबरदस्त प्रतिक्रिया
अमर उपाध्याय ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनकी ऑन-स्क्रीन मौत को इतना ज्यादा ड्रामेटिक बना दिया गया था कि उनकी मां भी रोने लगी थी. उन्हें समझाना पड़ा कि "मां, मैं जिंदा हूं, आपके सामने बैठा हूं!" बालाजी टेलीफिल्म्स से अमर उपाध्याय को रात 2 बजे फोन आया, जिसमें बताया गया कि उनकी मौत के कारण ईमेल सर्वर क्रैश हो गया है और टेलीफोन लाइन्स जाम हो गई हैं. उन्होंने खुद ऑफिस जाकर कई कॉल्स का जवाब दिया और बताया कि वह जिंदा हैं, सिर्फ उनके किरदार की मौत हुई है.
महिलाएं सफेद साड़ी पहनकर मातम मनाने पहुंचीं
इसके अलावा, अमर उपाध्याय ने ये भी बताया कि जब लोगों ने उनकी मौत देखी, तो 15-20 महिलाएं सफेद साड़ी पहनकर उनके घर के बाहर मातम मनाने पहुंच गई. जब उन्होंने अमर उपाध्याय को जिंदा देखा, तो वह हैरान रह गई. एक्टर ने कहा कि पहले के लोग काफी मासूम हुआ करते थे और टीवी पर दिखाई गई चीजों को सच मान लेते थे. उनकी इस बात से साफ है कि उस दौर में टीवी शोज का लोगों की जिंदगी पर गहरा असर पड़ता था.
आज भी याद किया जाता है ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’
भले ही अब टीवी की जगह ओटीटी और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने ले ली हो, लेकिन ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ जैसा जादू आज भी लोगों के दिलों में ताजा है. मिहिर की मौत का ये किस्सा भारतीय टेलीविजन इतिहास के सबसे चर्चित और इमोशनल पलों में से एक बन चुका है.


