गुर्दे की पथरी को जड़ से निकाल बाहर करता है पत्थरचट्टा, जानिए इसके ढेर सारे फायदे

आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में पत्थरचट्टा यानी पत्थरचूर को गुर्दे की पथरी के लिए रामबाण कहा गया है। इसके चमत्कारी पत्ते हाई बीपी को कंट्रोल में करते हैं और घाव जल्दी भरते हैं।

Vineeta Vashisth
Vineeta Vashisth
आयुर्वेद में कई चमत्कारी जड़ी बूटियों का उल्लेख किया गया है जो सेहत संबंधी फायदा करती हैं। कई ऐसी जड़ी बूटियां हैं जो हमारे शरीर को बीमारियों से दूर रखती है और कई बीमारियों में लाभ भी पहुंचाती है। इन्हीं में से एक है पत्थरचट्टा जिसे पत्थरचूर भी कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे एक सदाबहार पौधे और औषधि के रूप में परिभाषित किया गया है जिसके पत्ते, पत्तों का रस और चूर्ण बीमारियों के इलाज में काम आता है। पत्थरचट्टा खासतौर पर किडनी स्टोन यानी गुर्दे की पथरी को बाहर निकालने के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। इसके सेवन से त्वचा संबंधी समस्याएं ठीक होती है और इसके एंटी बैक्टीरियण गुण संक्रमण को दूर रखने में कारगर साबित होते हैं। पत्थरचट्टा अब आसानी से मिल जाता है। मार्केट में या ऑनलाइन ऑर्डर करके इसे मंगवाया जा सकता है। आप घर पर भी इसके पौधे को उगा सकते हैं। चलिए जानते हैं कि पत्थरचट्टा किस तरह से सेहत को फायदा करता है और इसका कैसे उपयोग किया जाता है।
 
पत्थरचट्टा का पौधा सामान्य का आकार का सदाबहार पौधा है जिसके पत्ते सामान्य पत्तों की तरह होते हैं लेकिन उनकी मोटाई कुछ अधिक होती है। इसका औषधीय नाम तो पत्थरचट्टा है लेकिन इसे पत्थरचूर, एयर प्लांट, कैथेड्रल बेल्स, लाइफ प्लांट और मैजिक लीफ के नामों से भी पुकारा जाता है। आयुर्वेद में इसके पत्ते और उनका रस और चूर्ण दवाइयां बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। चूंकि इससे पथरी की समस्या हल होती है इसलिए इसे भष्मपथरी, पाषाणभेद और पणपुट्टी भी कहा जाता है। इसके पत्ते स्वाद में खट्टे और थोड़े से नमकीन होते हैं। 
 
किडनी स्टोन में बहुत लाभकारी है पत्थरचट्टा
 
पत्थरचट्टा को विशेष तौर पर किडनी स्टोन के लिए खास दवा कहा गया है। इसके सेवन से किडनी में स्टोन होने का खतरा कम होता है। जिन लोगों के गुर्दे में पथरी हो जाती है, वो अगर रोज पत्थरचट्टा के दो पत्तों का सेवन करें तो गुर्दे की पथरी टूट टूट कर मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाती है। इसके अलावा मूंत्र संबंधी इन्फेक्शन और मूत्र संबंधी परेशानियों में भी पत्थरचट्टा काफी मददगार साबित होता है। इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से मूत्र में जलन, यूरिन रुक रुक कर आना, और मूत्र संबंधी इन्फ्केशन में आराम मिलता है। ये किडनी को ज्यादा मजबूत बनाता है और इसके सेवन से किडनी सही तरह से फिल्टर का काम करने लगती है। 
 
कैसे करें उपयोग  - 
 
आपको सौ ग्राम पथरचट्टा के पत्ते लेने हैं और उनको धो कर मथ लेना है। आप चाहें तो मिक्सी में इनको ब्लैंड भी कर सकते हैं। अब इनका रस निकाल लीजिए और सुबह शाम दो बार खाली पेट इनका सेवन करना होगा। ऐसा करने से कैल्शियम फास्फेट से बने स्टोन मूत्र मार्ग के जरिए निकल जाएंगे। इस रस की बदौलत जल्दी ही पूरी पथरी टूट टूट कर बाहर निकल जाती है।
 
उच्च रक्तचाप को कंट्रोल करता है
हाई बीपी से परेशान लोगों के लिए पत्थरचट्टा काफी मददगार होता है। इसके पत्तों के रस के सेवन से बीपी को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। पत्थरचट्टा के पत्तों का रस निकाल कर पांच पांच बूंद सुबह के समय पानी में मिलाकर पीने से रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है। 
 
घाव जल्दी भरता है 
पत्थरचट्टा के पत्तों को पीस कर उसका लेप बनाकर अगर घाव पर लगाया जाए तो घाव जल्दी भरते हैं और घाव में इन्फेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है। इतना ही नहीं त्वचा पर खुजली, जलन, चकत्ते और रैशेज होने पर भी इसका लेप काफी मददगार साबितो होता है। इसके एंटी बैक्टीरियण गुण संक्रमण को दूर करते हैं औऱ घाव जल्दी भरते हैं। 
 
वेजाइनल इन्फेक्शन में लाभ करता है
महिलाओं को अक्सर वेजाइनल इन्फेक्शन की दिक्कत होती है। वेजाइनल एरिया में खुलजी,जलन, संक्रमण के साथ  साथ व्हाइट डिस्चार्ज से परेशान होने पर पत्थरचट्टा के पत्तों को उबाल कर काढ़ा बनाकर पिया जाए तो आराम मिलता है। 
 
बवासीर में अगर रक्त आ रहा है या फिर खूनी दस्त लग गए हैं तो इस स्थिति में पत्थरचट्टा काफी लाभकारी सिद्ध होता है। पत्थरचट्टा के कुछ पत्तों का रस निकाल कर इसमें जरा सा पिसा हुआ जारी और थोड़ा सा देशी घी मिलाकर इसका सेवन करने से खूनी दस्त में काफी आराम मिलता है।
 
पाचन को मजबूत करता है 
पत्थरचट्टा के पत्तों का रस पेट संबंधी समस्याओं जैसे पेट में गैस, पेट में सूजन, पेट दर्द, छाती में जलन और कब्ज आदि में राहत दिलाता है। इसके पत्तों के रस के सेवन से पित्त दोष दूर होता है। इसके सेवन से आंतें भी डिटॉक्सिफाई होती हैं औऱ आंत संबंधी बीमारियों का खतरा दूर होता है। 
 
सिर में दर्द हो रहा हो तो पत्थरचट्टा के पत्तों को पीस कर लेप बनाकर माथे पर लगाने से सिरदर्द में काफी आराम मिलता है। इसके लेप से माइग्रेन में भी राहत मिलती है और माइग्रेन कम होने लगता है।
 
कैसे करें उपयोग 
 
पत्थरचट्टा के पत्तों का रस, पत्तों को पीस कर उपयोग में लाया जाता है।  इसके पत्तों को पीसकर सुखा कर उसका चूर्ण भी उपयोग किया जाता है। आप घर में भी इसका पौधा लगा सकते हैं क्योंकि इसे लगाने के लिए जड़ की जरूरत नहीं पड़ती, ये केवल पत्ती से ही दोबारा उग सकता है।
 
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21 March 2023, 12:30 PM IST

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