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1971 जैसा नहीं है मामला, सिर्फ गोले दागना मकसद नहीं: थरूर ने मोदी को दी नसीहत

भारत-पाक सीजफायर पर जहां मोदी की तारीफ हो रही है वहीं शशि थरूर ने इंदिरा गांधी से तुलना पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि 1971 की जंग और आज के हालात में ज़मीन-आसमान का फर्क है. अब बात सिर्फ गोलीबारी रोकने की है, कोई बड़ा मकसद नहीं. पढ़िए पूरी खबर – जानिए थरूर ने क्यों कहा कि मोदी की तुलना इंदिरा से करना गलत है!

Aprajita
Edited By: Aprajita

Tharoor Slams: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में सीजफायर को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है. दोनों देशों के डीजीएमओ स्तर की बातचीत के बाद, यह तय हुआ कि सीमा पर सभी मोर्चों पर गोलीबारी बंद की जाएगी. इस फैसले को लेकर जहां कई लोग सरकार की तारीफ कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी से किए जाने पर एतराज जताया है. उन्होंने साफ कहा कि उस समय के हालात आज से बिलकुल अलग थे.

सीजफायर पर बनी सहमति लेकिन राजनीतिक बहस शुरू

भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) स्तर की बातचीत के बाद दोनों देशों ने सीमाओं पर शांति बनाए रखने का फैसला किया है. यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब दोनों देशों के बीच हाल ही में गोलीबारी की घटनाएं बढ़ी थीं. हालांकि, यह समझौता होते ही राजनीतिक हलकों में बयानबाजी शुरू हो गई है.

थरूर ने कहा – 1971 और अब में फर्क है

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने उन लोगों को आड़े हाथों लिया जो इस कदम की तुलना 1971 में इंदिरा गांधी की कूटनीति और सैन्य नेतृत्व से कर रहे हैं. थरूर ने कहा, “1971 में भारत ने एक नैतिक उद्देश्य के लिए लड़ाई लड़ी थी – बांग्लादेश को आजाद कराना. वो युद्ध ऐतिहासिक था और उसका मकसद साफ था. लेकिन आज सिर्फ पाकिस्तान पर गोले दागना कोई रणनीति नहीं है.”

सोशल मीडिया पर मोदी की तारीफ से थरूर नाखुश

शशि थरूर ने सोशल मीडिया पर चल रही उन पोस्ट्स की आलोचना की जिसमें लोग मोदी को इंदिरा गांधी जैसा लीडर बता रहे थे. उन्होंने कहा कि 1971 में भारत ने एक नया नक्शा खींचा था, जबकि आज केवल फायरिंग रोकने को ऐतिहासिक बता देना सही नहीं है.

ट्रंप का दावा और भारत की स्थिति

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बयान दिया कि भारत और पाकिस्तान सीजफायर के लिए राजी हो गए हैं और अब बातचीत की संभावना है. मगर कुछ क्षेत्रों में अभी भी संघर्ष विराम उल्लंघन की खबरें आ रही हैं. इस बीच भारत ने साफ किया है कि वह शांति चाहता है लेकिन अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा.

सीजफायर भले हो गया हो लेकिन सियासी गोलाबारी अब शुरू हो गई है. थरूर की बातों से यह साफ है कि हर समझौता इतिहास नहीं होता और हर हालात को पुराने दौर से जोड़ना सही नहीं. अब देखना ये होगा कि ये शांति कितनी टिकाऊ साबित होती है और आने वाले दिनों में क्या वाकई हालात सुधरते हैं या फिर ये सिर्फ एक अस्थायी राहत है.

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11 May 2025, 03:02 PM IST

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