score Card

2006 मुंबई ब्लास्ट केस: हाईकोर्ट ने सभी 12 दोषियों को क्यों किया रिहा? जानिए क्या है वजह

2006 मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 12 दोषियों को बरी कर दिया, ये कहते हुए कि अभियोजन आरोप सिद्ध करने में विफल रहा. कोर्ट ने गवाहों और सबूतों को अविश्वसनीय मानते हुए जांच में गंभीर खामियों की ओर इशारा किया.

देश को हिला देने वाले 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी 12 दोषियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष इस केस को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है और उसके पास प्रस्तुत साक्ष्य दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. ये फैसला महाराष्ट्र एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, जिसने इस हमले की जांच की थी.

गौरतलब है कि 11 जुलाई 2006 की शाम 6:23 से 6:28 के बीच मुंबई की लोकल ट्रेनों में एक के बाद एक 7 सिलसिलेवार धमाके हुए थे, जिनमें 180 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी और करीब 829 लोग घायल हुए थे. इस हमले को भारत के इतिहास के सबसे भयावह आतंकी हमलों में से एक माना जाता है.

'अभियोजन ने आरोप साबित नहीं किए', कोर्ट का सख्त रुख

जस्टिस अनिल किलोर और श्याम चंदक की विशेष पीठ ने सोमवार को दिए गए अपने फैसले में साफ कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ केस साबित करने में पूरी तरह असफल रहा है. ये मानना मुश्किल है कि अपराध आरोपियों ने किया है. इसलिए सभी की सजा रद्द की जाती है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभियोजन इस बात तक को प्रमाणित नहीं कर सका कि हमले में किस प्रकार के बमों का इस्तेमाल किया गया. 

सबूतों और गवाहों को बताया अविश्वसनीय

कोर्ट ने कहा कि जिन गवाहों के बयानों के आधार पर सजा दी गई थी, वे विश्वसनीय नहीं हैं. इनमें टैक्सी चालकों, प्रत्यक्षदर्शियों और कथित बम असेंबली देखने वालों की गवाही को खारिज कर दिया गया. कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयान भरोसेमंद नहीं हैं और इन पर सजा टिकाई नहीं जा सकती. डिफेंस ने अभियोजन के सभी दावों को बुरी तरह ध्वस्त कर दिया है. 

जांच में गंभीर प्रक्रियात्मक खामियां

कोर्ट ने जब्त विस्फोटक और सर्किट बॉक्स जैसी वस्तुओं के रखरखाव में भारी लापरवाही को उजागर किया. पुलिस ने टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड तक अधिकृत अधिकारियों से नहीं करवाई. गवाहों ने चार महीने बाद और फिर चार साल बाद कोर्ट में पहचान की कोशिश की, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया.

सभी 12 दोषियों को मिली रिहाई

2015 में एक विशेष कोर्ट ने 12 लोगों को दोषी ठहराया था, जिनमें से 5 को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा दी गई थी. हाईकोर्ट ने अब सभी दोषियों की सजा को रद्द कर दिया और आदेश दिया कि अगर वे किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं, तो उन्हें तत्काल रिहा किया जाए.

calender
21 July 2025, 03:48 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag