सीमा पर तनाव बढ़ा, करतारपुर जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या घटकर आधी हुई
पहलगाम हमले के बाद अटारी-वाघा चेकपोस्ट बंद होने के चलते, भारत से पाकिस्तान तक खुला हुआ एकमात्र ज़मीनी रास्ता अब केवल करतारपुर कॉरिडोर रह गया है. वर्ष 2024 में, भारत और पाकिस्तान ने इस आस्था मार्ग को आगामी पांच वर्षों तक चालू रखने के लिए आपसी समझौते का नवीनीकरण किया था.

पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के कारण 22 अप्रैल को करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से भारतीय सिख तीर्थयात्रियों की संख्या में 50% की गिरावट आई है. हालांकि, दोनों देशों ने तीर्थयात्रियों के लिए कॉरिडोर को खुला रखा है, लेकिन सुरक्षा चिंताओं और वीज़ा-मुक्त यात्रा की शर्तों के कारण श्रद्धालुओं की संख्या प्रभावित हुई है.
राजनयिक संबंध
भारत सरकार ने 23 अप्रैल को पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को कम करने का निर्णय लिया, जिसके परिणामस्वरूप अटारी-वाघा सीमा पर व्यापार निलंबित कर दिया गया. हालांकि, करतारपुर कॉरिडोर को तीर्थयात्रियों के लिए खुला रखा गया है, लेकिन 24 अप्रैल से श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट देखी गई. 30 अप्रैल तक तीर्थयात्रियों की संख्या घटकर 152 रह गई, जो कि पिछले सप्ताह की तुलना में कम है.
गुरुद्वारा दरबार साहिब के प्रमुख ने क्या कहा?
गुरुद्वारा दरबार साहिब के प्रमुख बाबा सुखदीप सिंह बेदी ने कहा कि श्रद्धालुओं की संख्या में कमी स्वाभाविक है और यह समग्र घबराहट को दर्शाता है. उन्होंने यह भी बताया कि द्विपक्षीय समझौते के अनुसार, दोनों देशों ने कॉरिडोर के प्रोटोकॉल का पालन किया है.
कॉरिडोर पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) के सचिव प्रताप सिंह ने श्रद्धालुओं को आस्था बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया और कहा कि सीमा के दोनों ओर कॉरिडोर पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था है.
कॉरिडोर 9 नवंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा उद्घाटित किया गया था. यह भारतीय सिख समुदाय के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है. यह गलियारा गुरु नानक देव जी के अंतिम विश्राम स्थल गुरुद्वारा दरबार साहिब तक पहुंचने का सीधा मार्ग प्रदान करता है.