किश्तवाड़ में बादल फटने से अब तक 65 लोगों की मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले में बादल फटने की घटना ने तबाही मचा दी है. इस घटना में अब तक 65 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि लगभग 100 लोग अब भी लापता हैं.

Kishtwar CloudBurst: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले के चशोती गांव में गुरुवार को हुए बादल फटने की घटना ने तबाही मचा दी है. शुक्रवार को पूरे दिन राहत और बचाव कार्य चलता रहा, लेकिन मलबे से निकल रहे शवों ने हालात की भयावहता को उजागर किया. अब तक 65 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि लगभग 100 लोग अब भी लापता हैं.
बारिश और मलबे के कारण गांव के कई घर, लंगर स्थल, दुकानें और सुरक्षा चौकी पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं. इसके अलावा, एक 30 मीटर लंबा पुल भी टूट गया है, जिससे मचैल माता यात्रा मार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया.
बचाव और राहत कार्य
सेना, पुलिस, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने मौके पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू कर दिया है. स्थानीय लोग भी मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटे हैं. शुक्रवार को मौसम ने थोड़ी राहत दी, जिससे बचाव अभियान तेज किया गया.
सेना के जवानों ने मचैल यात्रा मार्ग पर टूटे हुए पुल की जगह लकड़ी का अस्थायी पुल बनाया और रस्सियों की मदद से श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को एक-एक कर बाहर निकाला. प्रशासन ने बताया कि अब तक लगभग 5,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है.
घायलों का इलाज जारी
करीब 200 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जिनमें से 100 से अधिक घायल हैं. इन्हें जम्मू और किश्तवाड़ के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. गंभीर रूप से घायलों को जम्मू मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है.
घटना के समय मचैल यात्रा मार्ग पर करीब 10 हजार श्रद्धालु मौजूद थे. पुल के बह जाने और सड़क मार्ग अवरुद्ध होने के कारण वे रास्ते में फंस गए. इनमें से करीब 5,000 श्रद्धालुओं ने मंदिर के पास आश्रयस्थलों, हमोरी गांव और आसपास के इलाकों में रात बिताई.
भारी नुकसान
आपदा से 16 घर, कई सरकारी भवन, तीन मंदिर, चार जल चक्कियां और दर्जनों वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं. लंगर और पुल के पास काफी भीड़ होने के कारण जान-माल का नुकसान ज्यादा हुआ है.
प्रशासन की निगरानी
किश्तवाड़ के उपायुक्त पंकज कुमार शर्मा और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर कैंप कर रहे हैं. मौसम खराब होने के कारण हेलीकॉप्टरों का उपयोग नहीं हो सका, इसलिए सभी टीमें सड़क मार्ग से ही पहुंच रही हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से बात कर हालात की जानकारी ली और हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला शनिवार को घटनास्थल का दौरा करेंगे.
शुक्रवार सुबह से मलबे से शव निकाले जा रहे हैं, लेकिन हर गुजरते घंटे के साथ जीवित लोगों के मिलने की उम्मीदें कम होती जा रही हैं. प्रशासन ने बताया कि कुछ लाशें एक ही ढाबे के मलबे से मिली हैं, जहां कई लोग खाना खाने के लिए रुके थे.
क्या बोले उमर अब्दुल्ला?
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घटना पर दुख जताते हुए कहा कि यह जांच का विषय है कि क्या प्रशासन पूर्व चेतावनी को लेकर पर्याप्त सतर्क था. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर पहले से भारी बारिश का अलर्ट था तो ज़मीनी स्तर पर क्या पर्याप्त कदम उठाए गए?


