AIIMS को मिला पहला भ्रूण दान, जैन परिवार ने रच दिया इतिहास!
इंदौर की वंदना जैन ने गर्भपात के बाद अपने भ्रूण को मेडिकल रिसर्च के लिए दान कर समाज में एक अनोखी मिसाल पेश की. जैन परिवार पहले से अंगदान के लिए सक्रिय रहा है और मानता है कि यह कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए उपयोगी साबित होगा.
Delhi News: इंदौर की वंदना जैन की कहानी आज पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन गई है. 5 साल बाद गर्भधारण करने पर परिवार खुशी से झूम उठा था, लेकिन चार महीने की प्रेगनेंसी के बाद रूटीन चेकअप में पता चला कि भ्रूण की हार्टबीट नहीं है. डॉक्टर ने अबॉर्शन की सलाह दी और ये पल पूरे परिवार के लिए गहरे सदमे जैसा था. वंदना के पति आशीष जैन बताते हैं कि ऐसा लगा जैसे पैरों तले से जमीन खिसक गई. दुख के बीच परिवार ने तय किया कि भ्रूण को रिसर्च के लिए दान किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिल सके. सुरेश चंद्र जैन कहते हैं कि अगर इस पर डॉक्टर शोध करेंगे तो शायद पता चल सके कि बच्चे में धड़कन क्यों नहीं आई. अंगदान के लिए पहले से सक्रिय यह परिवार आगम श्री फाउंडेशन के जरिए 4400 से अधिक नेत्रदान करा चुका है. आशीष भावुक होकर कहते हैं कि भले ही मेरा बेटा इस दुनिया में नहीं आ सका, लेकिन उसकी मृत देह मेडिकल साइंस में हमेशा यादगार रहेगी.


