हंगामे ने ले ली मुद्दे की बलि, दिल्ली के प्रदूषण पर नहीं हो सकी चर्चा...अनिश्चित काल के लिए स्थिगित हुई संसद
दिल्ली में बिगड़ते वायु प्रदूषण पर संसद में प्रस्तावित चर्चा शीतकालीन सत्र के हंगामे की भेंट चढ़ गई. अहम विधेयक पारित हुए, लेकिन प्रदूषण जैसे जनहित मुद्दे पर बहस न हो पाने से जनता निराश है.

नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता को लेकर संसद में होने वाली अहम चर्चा एक बार फिर टल गई. शुक्रवार सुबह संसद के शीतकालीन सत्र के समापन के साथ ही यह साफ हो गया कि उत्तर भारत में गंभीर होते प्रदूषण संकट पर सांसदों के बीच अपेक्षित बहस नहीं हो पाएगी. यह सत्र 1 दिसंबर को शुरू हुआ था और इसके दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया, लेकिन प्रदूषण जैसे जनहित से जुड़े मुद्दे पर संसद की चुप्पी लोगों को निराश कर गई.
दब गया प्रदूषण का मुद्दा
शीतकालीन सत्र के दौरान परमाणु ऊर्जा और ग्रामीण रोजगार से जुड़े अहम विधेयक पारित किए गए. इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में रहा जी-राम-जी विधेयक, जिसे यूपीए सरकार की मनरेगा योजना के विकल्प के तौर पर लाया गया है. इस विधेयक को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली. विपक्ष ने इसे गरीबों और ग्रामीण श्रमिकों के अधिकारों पर हमला बताया, जबकि सरकार ने इसे रोजगार व्यवस्था में सुधार का कदम बताया.
प्रदूषण पर चर्चा की बनी थी उम्मीद
सत्र के अंतिम दिनों में यह उम्मीद जताई जा रही थी कि दिल्ली और उत्तर भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण पर संसद में गंभीर चर्चा होगी. बीते सप्ताह एक दुर्लभ राजनीतिक एकजुटता देखने को मिली थी, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संसद में प्रदूषण पर तत्काल चर्चा की मांग की. इस मांग को केंद्र सरकार ने भी स्वीकार कर लिया था, जिससे संकेत मिले थे कि इस बार मुद्दे को गंभीरता से लिया जाएगा.
हंगामे में उलझी संसद
गुरुवार शाम करीब छह बजे केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को लोकसभा में प्रदूषण से जुड़े सवालों का जवाब देना था. लेकिन उससे पहले ही हालात बिगड़ गए. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान जब जी-राम-जी विधेयक पर अपनी बात रख रहे थे, तभी विपक्षी सांसदों ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी. शोर-शराबे के बीच सदन की कार्यवाही बाधित होती रही और दोबारा शुरू होने के महज एक घंटे के भीतर ही लोकसभा को स्थगित कर दिया गया.
विवादों के बीच विधेयक पास
हंगामे के बावजूद सरकार ने जी-राम-जी विधेयक को लोकसभा से पारित करा लिया. इसके बाद देर रात राज्यसभा में भी यह विधेयक नाटकीय परिस्थितियों के बीच पास हो गया. विपक्ष लगातार आरोप लगाता रहा कि सरकार बिना पर्याप्त चर्चा के महत्वपूर्ण कानून पारित कर रही है. इस पूरी कवायद के बीच प्रदूषण पर प्रस्तावित चर्चा पूरी तरह से रद्द हो गई.
जनता के लिए सबसे बड़ा सवाल
दिल्ली और आसपास के इलाकों में रहने वाले लोग इस वक्त गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रहे हैं. स्कूलों की छुट्टियां, बुजुर्गों और बच्चों की बिगड़ती सेहत और अस्पतालों में बढ़ते मरीज इस समस्या की भयावहता को दर्शाते हैं. ऐसे में संसद में इस मुद्दे पर चर्चा न हो पाना जनता के लिए सबसे बड़ा सवाल बन गया है.
बार-बार टलती बहस, बढ़ती चिंता
यह पहली बार नहीं है जब प्रदूषण जैसे अहम मुद्दे पर संसद में चर्चा टली हो. हर साल सर्दियों में दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो जाती है, लेकिन राजनीतिक टकराव और विधायी प्राथमिकताओं के बीच यह मुद्दा अक्सर हाशिये पर चला जाता है.
गंभीर मुद्दे पर संसद की चुप्पी
शीतकालीन सत्र के समापन के साथ ही प्रदूषण पर संसद की चुप्पी एक बार फिर उजागर हो गई है. अब उम्मीद की जा रही है कि आने वाले बजट सत्र या किसी विशेष चर्चा के जरिए सरकार और विपक्ष मिलकर इस गंभीर समस्या पर ठोस रणनीति तैयार करेंगे. फिलहाल, दिल्ली की जहरीली हवा के बीच जनता जवाब का इंतजार कर रही है.


