score Card

जी राम जी विधेयक संसद से पारित, भारी हंगामे के बीच बदला ग्रामीण रोजगार कानून

जी राम जी विधेयक संसद से भारी विरोध के बीच पारित हुआ. सरकार इसे मनरेगा का सुधार बताती है, जबकि विपक्ष महात्मा गांधी का नाम हटाने और रोजगार गारंटी कमजोर करने को गरीब विरोधी कदम मान रहा है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्लीः विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, जिसे संक्षेप में जी राम जी नाम दिया गया है, संसद के दोनों सदनों से मात्र दो दिनों में पारित हो गया. यह विधेयक यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम (MGNREGA) का अद्यतन संस्करण बताया जा रहा है. हालांकि इसके नाम, स्वरूप और प्रावधानों को लेकर संसद में जबरदस्त हंगामा देखने को मिला.

लोकसभा से राज्यसभा तक जोरदार विरोध

गुरुवार दोपहर लोकसभा में भारी विरोध, नारेबाजी और विपक्ष के वॉकआउट के बावजूद विधेयक पारित कर दिया गया. इसके बाद राज्यसभा में देर रात तक बहस चली और करीब 12:15 बजे ध्वनि मत से इसे मंजूरी दे दी गई. विपक्षी दलों ने पहले विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने और फिर इसे पूरी तरह वापस लेने की मांग की, लेकिन सरकार ने दोनों मांगों को खारिज कर दिया.

महात्मा गांधी का नाम हटाने पर विवाद

विधेयक में महात्मा गांधी के नाम को हटाकर ‘जी राम जी’ नाम रखने पर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने कड़ा ऐतराज जताया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे गरीबों के हितों के खिलाफ बताते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों के नाम पर बात करती है, लेकिन उसके फैसले उनकी पीठ में छुरा घोंपने जैसे हैं. खड़गे ने ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से अपील की कि अभी भी समय है, कानून वापस ले लिया जाए.

खड़गे का भावुक संबोधन

अपने भाषण में खड़गे भावुक भी हो गए. उन्होंने अपनी दिवंगत मां और भारत माता की कसम खाते हुए कहा कि यह कानून गरीबों के लिए नुकसानदायक है. उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि जैसे कृषि कानून वापस लिए गए थे, वैसे ही यह कानून वापस लेकर सरकार अपनी छवि सुधार सकती है.

अन्य विपक्षी दल भी मुखर

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन ने सरकार पर आरोप लगाया कि केंद्र ने पश्चिम बंगाल में मनरेगा को बंद कर दिया, जिसके बाद राज्य सरकार को अपनी योजना शुरू करनी पड़ी. उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक पारित होने के दिन ही पश्चिम बंगाल सरकार ने अपनी योजना का नाम बदलकर महात्मा के नाम पर रखा, जो केंद्र के फैसले के खिलाफ एक संदेश है. बहस के बाद तृणमूल और अन्य दलों के सांसदों ने संसद परिसर में धरना भी दिया.

सरकार का पलटवार

जब केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान जवाब देने के लिए खड़े हुए, तो विपक्ष ने “काला विधेयक वापस लो” के नारे लगाए और अंततः सदन से बाहर चला गया. इस पर नाराज चौहान ने कहा कि आरोप लगाकर भाग जाना गांधी के आदर्शों के खिलाफ है. उन्होंने कांग्रेस पर मनरेगा को भ्रष्टाचार का जरिया बनाने का आरोप लगाया और कहा कि नया कानून व्यापक विचार-विमर्श के बाद लाया गया है.

जी राम जी विधेयक में क्या बदला?

सरकार के अनुसार, 20 साल पुरानी मनरेगा योजना में सुधार जरूरी था. नए कानून में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी को बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है. हालांकि रोजगार अब पूर्व-स्वीकृत योजनाओं से जोड़ा गया है. काम को चार श्रेणियों जल सुरक्षा, ग्रामीण ढांचा, आजीविका संपत्ति और जलवायु अनुकूलन में बांटा गया है.

विपक्ष की मुख्य आपत्तियां

विपक्ष का आरोप है कि नया कानून मनरेगा की मूल आत्मा को खत्म कर देता है. पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि इसमें न तो रोजगार की वास्तविक गारंटी है, न आजीविका की सुरक्षा. आलोचकों के मुताबिक, यह कानून ग्रामीण गरीबों की जरूरतों के बजाय सरकारी योजनाओं पर केंद्रित है.

राजनीतिक असर

जी राम जी विधेयक के पारित होने से ग्रामीण रोजगार नीति में बड़ा बदलाव तय माना जा रहा है. हालांकि सरकार इसे सुधार और विस्तार बता रही है, वहीं विपक्ष इसे गरीब विरोधी कदम करार दे रहा है. आने वाले समय में यह कानून राजनीति और जमीन पर दोनों स्तरों पर बड़ा मुद्दा बन सकता है.

calender
19 December 2025, 08:04 AM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag