125 दिन काम... आज लोकसभा में पेश होगा VB-G RAM G बिल, गांवों की अर्थव्यवस्था को लगेंगे पंख
आज यानी मंगलवार को लोकसभा में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान MGNREGA को खत्म करने और एक नया कानून विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन(VB-RAM G)लाने के लिए बिल पेश कर सकते हैं. इस नए कानून के तहत राज्य सरकारों को ज्यादा खर्च करना होगा और काम करने के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 कर दिया जाएगा.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को खत्म कर नया कानून विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) या VB-G RAM G लाने की तैयारी कर रही है. नए विधेयक में राज्य सरकारों के खर्च बढ़ेंगे और मौजूदा 100 कार्यदिवसों की संख्या बढ़ाकर 125 की जाएगी. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान कल लोकसभा में इस बिल को पेश करेंगे. सरकार का मानना है कि नया विधेयक ग्रामीण रोजगार और आजीविका को नई गति देगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ‘विकसित भारत 2047’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के तहत मजबूत करेगा.
नया बिल, नई गारंटी
विपक्ष की आपत्तियां और हंगामा
हालांकि, विपक्ष इस बिल पर सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है. कांग्रेस ने बिल के नाम बदलने और MGNREGA को खत्म करने की निंदा की है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि महात्मा गांधी के नाम को हटाना ग्रामीण गरीबों के हित के खिलाफ है और यह गांधी की चेतना के खिलाफ़ है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे BJP-RSS की योजना करार दिया और कहा कि यह गरीबों और मजदूरों के अधिकारों पर हमला है. प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस कदम की आलोचना करते हुए पूछा कि महात्मा गांधी का नाम हटाने के पीछे सरकार की मंशा क्या है.
संसदीय प्रक्रिया और स्थायी समिति की मांग
विपक्ष ने यह भी मांग की है कि VB-G RAM G बिल को संसदीय स्थायी समितियों के पास भेजा जाए ताकि गहन अध्ययन और व्यापक विचार-विमर्श किया जा सके. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि तीन बड़े बिलों के लिए यही प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए. सरकार और विपक्ष के बीच इस विधेयक को लेकर लोकसभा में तीखी बहस और राजनीतिक टकराव की संभावना है.
रोजगार और आजीविका के लिए नया दिशा-निर्देश...
सरकार का दावा है कि नया विधेयक ग्रामीण रोजगार और आजीविका के लिए नया दिशा-निर्देश देगा, लेकिन विपक्ष इसे गरीब विरोधी और मजदूर विरोधी कदम मान रहा है. यह विधेयक ग्रामीण भारत में रोजगार, आजीविका और सामाजिक सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है, जबकि राजनीतिक टकराव और विधायी बहस इस पर लंबे समय तक जारी रहने की संभावना है.


