पाकिस्तान से तनाव के बीच रूस ने फिर निभाई दोस्ती, भारतीय सेना को भेजी Igla-S मिसाइल...पलभर में होगा दुश्मन का काम तमाम
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ बढ़ते तनाव के बीच अपनी वायु रक्षा क्षमता को मजबूत करने के लिए रूस से इग्ला-एस मिसाइलों की नई आपूर्ति प्राप्त की है. 260 करोड़ रुपये के अनुबंध के तहत ये मिसाइलें भारतीय सेना की वायु सुरक्षा में सुधार करेंगी, खासकर पश्चिमी सीमाओं पर. इसके अलावा, सेना ने त्वरित खरीद प्रक्रियाओं के तहत और लॉन्चर और VSHORADS (IR) मिसाइलों की भी खरीद की है. DRDO द्वारा विकसित ड्रोन नाशक प्रणाली और ऊर्जा हथियार से भारतीय सेना की रक्षा क्षमता और बढ़ी है.

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, भारतीय सेना अपनी युद्ध क्षमताओं को मजबूत करने के लिए लगातार कदम उठा रही है. खासतौर पर, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, भारत ने अपनी वायु रक्षा प्रणाली को और प्रभावी बनाने के लिए रूस से इग्ला-एस मिसाइलों की नई आपूर्ति प्राप्त की है. ये मिसाइलें भारतीय सेना की वायु सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी हैं, जो दुश्मन के विमानों, हेलिकॉप्टरों और ड्रोन से खतरे से निपटने में मदद करती हैं.
260 करोड़ की डील और वायु सुरक्षा में सुधार
रूस द्वारा दी गई इग्ला-एस वायु रक्षा मिसाइलों की नई आपूर्ति भारतीय सेना को एक महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है. रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह आपूर्ति करीब 260 करोड़ रुपये के अनुबंध के तहत की गई है और यह भारतीय सेना की वायु रक्षा क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी. विशेष रूप से पश्चिमी सीमाओं पर, जहां पाकिस्तानी सेना के खिलाफ तैयार रहने की आवश्यकता है, यह मिसाइलें अग्रिम क्षेत्रों में वायु सुरक्षा बढ़ाने का काम करेंगी.
यह मिसाइल प्रणाली इंफ्रारेड सेंसर पर आधारित है, जो अत्यधिक प्रभावी और तेजी से प्रतिक्रिया देने वाली होती है. इन मिसाइलों की आपूर्ति से भारतीय सेना को दुश्मन के हवाई हमलों और ड्रोन के खिलाफ ज्यादा ताकत मिलेगी, खासकर उन क्षेत्रों में जहां दुश्मन की गतिविधियां बढ़ सकती हैं.
सेना की त्वरित खरीद प्रक्रिया
भारतीय सेना पिछले कुछ वर्षों में अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाने के लिए त्वरित और आपातकालीन खरीद प्रक्रियाओं को अपनाते हुए अपनी तैयारी को मजबूत कर रही है. इग्ला-एस मिसाइलों के अतिरिक्त, सेना ने 48 और लॉन्चरों तथा लगभग 90 VSHORADS (IR) मिसाइलों की खरीद के लिए निविदाएं भी जारी की हैं. यह खरीद सेना की युद्धक क्षमताओं को और बढ़ाने का हिस्सा है, जिससे वह भविष्य में किसी भी प्रकार के हवाई खतरे का शीघ्र जवाब दे सके.
इसके अलावा, सेना ने हाल ही में लेजर बीम-राइडिंग VSHORADS के नए संस्करण की खरीद का भी विचार किया है, जो आने वाले समय में उसकी सुरक्षा में और सुधार करेगा. इन कदमों के जरिए भारत अपनी सैन्य ताकत को हर मोर्चे पर बढ़ाने में जुटा हुआ है.
इग्ला-एस मिसाइलों की विशेषताएं
इग्ला-एस मिसाइलें इग्ला मिसाइलों का उन्नत संस्करण हैं, जिन्हें 1990 के दशक से इस्तेमाल किया जा रहा है. इन मिसाइलों का उन्नयन भारतीय रक्षा कंपनियों द्वारा किया गया है, ताकि वे वर्तमान में हो रहे खतरों का सामना कर सकें. विशेष रूप से, पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मानव रहित हवाई वाहनों (ड्रोन) से उत्पन्न खतरे को देखते हुए, इन मिसाइलों का महत्व और भी बढ़ जाता है. इग्ला-एस मिसाइलों के साथ, भारतीय सेना को दुश्मन के ड्रोन और विमानों का सही तरीके से पता लगाने और उन्हें नष्ट करने की क्षमता मिलती है.
ड्रोन नाशक प्रणाली और DRDO की नई तकनीक
भारतीय सेना ने ड्रोन से निपटने के लिए एक स्वदेशी ड्रोन डिटेक्शन और इंटरडिक्शन सिस्टम भी विकसित किया है. यह प्रणाली 8 किलोमीटर से अधिक की दूरी से ड्रोन का पता लगा सकती है और उन्हें जाम करके, धोखा देकर या मारकर नष्ट कर सकती है. इसके अलावा, इस प्रणाली में लेजर तकनीक भी मौजूद है, जो ड्रोन को जलाकर गिरा सकती है.
हाल ही में, इस प्रणाली का उपयोग करके जम्मू क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना के एक ड्रोन को भारतीय सेना ने मार गिराया. इसके अलावा, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक लंबी दूरी और उच्च शक्ति वाला प्रत्यक्ष ऊर्जा हथियार भी विकसित किया है, जो युद्ध के समय बड़े आकार के ड्रोन, क्रूज मिसाइलों और विमानों को नष्ट कर सकता है. यह तकनीकी नवाचार भारतीय सेना को दुश्मन के हवाई हमलों से निपटने में और सक्षम बनाएगा.


