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Aravalli Hills Controversy: सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले पर लगाई रोक, नोटिस जारी कर बढ़ाई सुनवाई की तारीख

Aravalli Hills Controversy: लंबे समय से अरावली हिल्‍स रेंज को लेकर चल रहे विवाद पर आज कोर्ट ने नोटिस जारी कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने रेंज के अंतर्गत आने वाले इलाकों में माइनिंग को लेकर फैसला लिया है.

Aravalli Hills Controversy: अरावली पहाड़ियों की परिभाषा को लेकर चल रहे बड़े विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है. कोर्ट ने अपने नवंबर के फैसले को फिलहाल स्थगित कर दिया और केंद्र सरकार समेत संबंधित राज्यों को नोटिस जारी किया है.

नवंबर फैसले पर क्या था विवाद ?

20 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की एक समिति की सिफारिशें मानते हुए अरावली की वैज्ञानिक परिभाषा को मंजूरी दी थी. इसके अनुसार, अरावली जिलों में कोई भू-आकृति जो स्थानीय स्तर से 100 मीटर या इससे ज्यादा ऊंची हो, उसे अरावली पहाड़ी माना जाएगा. वहीं, 500 मीटर के दायरे में दो या ज्यादा ऐसी पहाड़ियां होने पर उसे अरावली रेंज कहा जाएगा. पहाड़ी की ढलानें, आसपास की जमीन और जुड़ी हुई आकृतियां भी इसमें शामिल होंगी. 

इस फैसले में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में विशेषज्ञ रिपोर्ट आने तक नई खनन लीज पर रोक भी लगाई गई थी. लेकिन पर्यावरण कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने इसका विरोध किया. उनका कहना था कि यह परिभाषा अरावली के बड़े हिस्से को संरक्षण से बाहर कर देगी, जिससे खनन और निर्माण बढ़ सकता है. 

सुप्रीम कोर्ट की नई कार्रवाई

29 दिसंबर 2025 को मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ ने मामले की सुनवाई की. पीठ में जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी थे. कोर्ट ने नवंबर के फैसले को अगली सुनवाई तक स्थगित कर दिया. साथ ही कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए और स्पष्टता मांगी. 

कोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र की ओर से कोर्ट की मदद कर रहे हैं. कोर्ट ने एक नई विशेषज्ञ समिति बनाने का भी संकेत दिया, जो अरावली पर फिर से अध्ययन करेगी. 

अगली सुनवाई और महत्व

अब इस मामले पर 21 जनवरी 2026 को सुनवाई होगी. कोर्ट का कहना है कि अरावली की परिभाषा में कोई भ्रम नहीं रहना चाहिए, क्योंकि यह दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है. यह थार मरुस्थल को रोकने और जल संरक्षण में बड़ी भूमिका निभाती है. यह मामला लंबे समय से चल रहे टीएन गोदावर्मन मामले से जुड़ा है, जिसमें अवैध खनन और पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे शामिल हैं. 

कोर्ट ने कोर क्षेत्रों में खनन पर सख्ती और सतत खनन की सिफारिशों को पहले मंजूरी दी थी, लेकिन अब दोबारा विचार कर रही है. यह कदम अरावली की सुरक्षा के लिए सकारात्मक माना जा रहा है. पर्यावरण प्रेमी इसे बड़ी राहत बता रहे हैं, क्योंकि इससे संवेदनशील इलाकों को खतरा टल सकता है.

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