अज़ीम प्रेमजी ने बेंगलुरु में यातायात सुगम बनाने के लिए विप्रो कैंपस की ज़मीन देने से किया इंकार
अज़ीम प्रेमजी ने बेंगलुरु ट्रैफिक समस्या के समाधान हेतु विप्रो कैंपस की ज़मीन देने से इंकार किया है. इसके लिए उन्होंने कंपनी के हित का हवाला दिया.

Azim Premji: विप्रो के संस्थापक अज़ीम प्रेमजी ने बेंगलुरु में यातायात जाम को कम करने के लिए कंपनी के सरजापुर कैंपस की ज़मीन सार्वजनिक आवागमन हेतु देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने गुरुवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को लिखे पत्र में स्पष्ट किया कि वे सरकार के प्रयासों की सराहना करते हैं, लेकिन इस समस्या का हल किसी एक कदम से संभव नहीं है.
बेंगलुरु की ट्रैफिक समस्या बेहद जटिल
प्रेमजी ने कहा कि बेंगलुरु की ट्रैफिक समस्या बेहद जटिल है और इसके लिए एक समग्र एवं वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है. उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसा अध्ययन किया जाए जिससे अल्पकाल, मध्यमकाल और दीर्घकाल के लिए एक ठोस रोडमैप तैयार हो सके. प्रेमजी ने यह भी प्रस्ताव रखा कि विप्रो इस अध्ययन की लागत का बड़ा हिस्सा वहन करने को तैयार है और इसमें सक्रिय भागीदारी करेगी.
हालांकि, उन्होंने कंपनी के परिसर को सार्वजनिक वाहनों के लिए खोलने के विचार को व्यावहारिक रूप से असंभव बताया. प्रेमजी ने लिखा कि यह ज़मीन एक सूचीबद्ध कंपनी की निजी संपत्ति है और कानूनी, प्रशासनिक एवं वैधानिक कारणों से इसे सार्वजनिक उपयोग में देना संभव नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि सरजापुर का परिसर विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) के तहत आता है, जहां वैश्विक ग्राहकों को सेवाएं दी जाती हैं. ऐसे में सख़्त सुरक्षा नियम और अनुपालन शर्तें लागू हैं, जिन्हें बदला नहीं जा सकता.
ठोस रिसर्च और योजना के आधार पर रणनीति
उनका कहना था कि निजी परिसर से होकर सार्वजनिक वाहनों की आवाजाही की अनुमति देना न तो स्थायी होगा और न ही एक प्रभावी समाधान साबित होगा. इसके बजाय, शहर की बढ़ती ट्रैफिक समस्या का दीर्घकालिक समाधान तभी संभव है जब ठोस रिसर्च और योजना के आधार पर रणनीति बनाई जाए.
इस पत्र से साफ़ है कि प्रेमजी बेंगलुरु की ट्रैफिक समस्या को गंभीरता से लेते हैं, लेकिन उनका मानना है कि तात्कालिक उपायों की बजाय एक व्यापक, सुव्यवस्थित और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना ही सही रास्ता होगा. वहीं, विप्रो अपने स्तर पर इस प्रक्रिया में सहयोग करने और समाधान तलाशने की दिशा में मदद देने के लिए तैयार है.


