मणिपुर में भारी बाढ़ का कहर: 20,000 लोग प्रभावित, 3,000 घर तबाह
इम्फाल और इरिल सहित कई प्रमुख नदियों ने विभिन्न स्थानों पर अपने तटबंध तोड़ दिए हैं, जिससे आसपास के आवासीय इलाकों और कृषि भूमि में पानी भर गया है. इस बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और सैकड़ों लोग बेघर होकर राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं.

मणिपुर इस समय भीषण बाढ़ से जूझ रहा है. राहत एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, लगातार छह दिनों की बारिश के बाद राज्य के कई इलाके जलमग्न हो गए हैं. बाढ़ से अब तक राज्य भर में 19,800 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और 3,365 घरों को नुकसान पहुंचा है.
इंफाल और इरिल जैसी प्रमुख नदियों ने कई स्थानों पर अपने तटबंध तोड़ दिए हैं. इससे न सिर्फ रिहायशी इलाके जलमग्न हो गए हैं, बल्कि कृषि भूमि को भी भारी नुकसान पहुंचा है. मणिपुर नदी का जलस्तर भले ही चेतावनी स्तर पर आ चुका हो, लेकिन अन्य नदियों का बहाव अभी भी खतरे की सीमा से ऊपर है.
11.8 हेक्टेयर कृषि भूमि तबाह, 47 भूस्खलन की घटनाएं
बाढ़ के चलते लगभग 11.8 हेक्टेयर कृषि भूमि बर्बाद हो चुकी है. साथ ही, राज्य में अब तक 47 भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गई हैं. हालांकि राहत की बात यह है कि अब तक किसी की मौत या लापता होने की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
37 राहत शिविर खोले गए, 1,599 लोग सुरक्षित
राज्य सरकार ने प्रभावित लोगों के लिए 37 राहत शिविर स्थापित किए हैं, जहां अब तक 1,599 लोगों को सुरक्षित पहुंचाया गया है. जल संसाधन विभाग ने जानकारी दी कि प्रमुख जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश में कमी देखी गई है. कांगपोकपी जिले में सोमवार दोपहर 1 बजे तक मात्र 11.50 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई.
राजधानी इंफाल की हालत गंभीर
राज्य की राजधानी इंफाल की स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है, विशेष रूप से निचले इलाकों में. नदियों के टूटे तटों की वजह से इन इलाकों में लगातार पानी भर रहा है. बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए आपातकालीन मरम्मत कार्य जारी हैं.
अस्पतालों में घुसा पानी
बाढ़ का पानी जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान (JNIIMS) के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित वार्डों में घुस गया है. मरीजों को तुरंत क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) और अन्य जिला अस्पतालों में स्थानांतरित किया गया है. वहीं, जेएनआईएमएस के हॉस्टल में रहने वाले छात्रों ने भोजन और पानी की कमी की शिकायत की है.
राहत और बचाव कार्य तेज़, सभी एजेंसियां सक्रिय
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), सेना, पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवक राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं. असम राइफल्स की 33वीं बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर राधा कृष्णन ने कहा कि समन्वित अभियान जारी है और सभी एजेंसियां किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
जनता से सतर्क रहने की अपील
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे सतर्क रहें, आधिकारिक दिशा-निर्देशों का पालन करें और बचाव दलों का सहयोग करें. स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और अगले कुछ दिनों तक संयुक्त राहत कार्य जारी रहने की उम्मीद है.


