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मेहुल चोकसी को भारत वापस लाना कितना मुश्किल? क्या कहती है बेल्जियम के साथ हुई 125 साल पुरानी डील

हीरा व्यापारी और भगोड़ा मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है जब वो स्विट्जरलैंड भागने की कोशिश कर रहा था. भारत ने 124 साल पुरानी प्रत्यर्पण संधि के तहत उसके प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही उसे भारत लाकर करोड़ों की बैंक धोखाधड़ी के मामलों में मुकदमा चलाया जाएगा.

हीरा कारोबारी और भगोड़ा मेहुल चोकसी को 7 साल की लंबी खोजबीन के बाद बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है. ये गिरफ्तारी भारतीय एजेंसियों – केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की अथक कोशिशों के बाद संभव हो सकी है. मेहुल चोकसी को उस वक्त पकड़ा गया जब वो स्विट्जरलैंड भागने की तैयारी में था. उसने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर बेल्जियम छोड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन भारतीय एजेंसियों की त्वरित कार्रवाई के चलते बेल्जियम पुलिस ने उसे दबोच लिया. अब भारत सरकार ने औपचारिक रूप से उसके प्रत्यर्पण की मांग कर दी है ताकि उस पर लगाए गए गंभीर आरोपों पर भारत में मुकदमा चलाया जा सके.

124 साल पुराने प्रत्यर्पण संधि का इस्तेमाल

भारत और बेल्जियम के बीच प्रत्यर्पण की ये प्रक्रिया 124 साल पुरानी संधि पर आधारित है, जो 29 अक्टूबर 1901 को ब्रिटेन (तब भारत पर शासन कर रहा था) और बेल्जियम के बीच हस्ताक्षरित हुई थी. इसके बाद 1907, 1911 और 1958 में इसमें संशोधन किया गया. आजादी के बाद, 1954 में दोनों देशों ने पत्रों के आदान-प्रदान के ज़रिए इस संधि को बनाए रखने का फैसला लिया था. इस संधि के तहत अगर कोई व्यक्ति दोनों देशों में गंभीर अपराधों का दोषी पाया जाता है, तो उसे एक-दूसरे की धरती पर पकड़े जाने पर प्रत्यर्पित किया जा सकता है.

दोहरी आपराधिकता (Dual Criminality) का सिद्धांत

इस संधि की सबसे अहम शर्त “डुअल क्रिमिनैलिटी” है, जिसका अर्थ है कि जिस अपराध का आरोपी पर आरोप है, वो अपराध दोनों देशों में दंडनीय होना चाहिए. बेल्जियम सरकार को भारतीय एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों से ये स्पष्ट हो गया कि चोकसी पर लगाए गए सभी आरोप बेल्जियम में भी अपराध माने जाते हैं. CBI के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जांच में जो सबूत पेश किए गए, उनसे बेल्जियम सरकार सहमत हुई. उन्हें ये भी स्पष्ट हो गया कि हमारे द्वारा लगाए गए आरोप वहां की न्याय प्रणाली में भी अपराध माने जाते हैं.”

भारत ने अगस्त 2024 में ही मेहुल चोकसी की बेल्जियम में उपस्थिति की पुष्टि होने के बाद उसका प्रत्यर्पण मांगा था. CBI के ग्लोबल ऑपरेशन्स सेंटर ने एंटवर्प में उसकी लोकेशन ट्रैक की थी. गिरफ्तारी के बाद भारत ने IPC की कई धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध बेल्जियम को भेज दिया है.

इन धाराओं के तहत प्रत्यर्पण की मांग

CBI अधिकारी के अनुसार, जिन धाराओं के तहत प्रत्यर्पण मांगा गया है उनमें शामिल हैं:

  • IPC धारा 120B – आपराधिक साजिश
  • धारा 201 – साक्ष्य मिटाना
  • धारा 409 – आपराधिक विश्वासघात
  • धारा 420 – धोखाधड़ी
  • धारा 477A – खातों में हेराफेरी
  • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 – रिश्वतखोरी

अब क्या होगा?

अब मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया कानूनी ढंग से आगे बढ़ेगी, जिसमें भारत को ये सुनिश्चित करना होगा कि उसके खिलाफ सारे साक्ष्य और दस्तावेज बेल्जियम की अदालत में समय रहते प्रस्तुत कर दिए जाएं. अगर प्रक्रिया सफल होती है, तो चोकसी को जल्द ही भारत लाया जाएगा, जहां उस पर करोड़ों की बैंक धोखाधड़ी समेत कई संगीन आरोपों में मुकदमा चलेगा.

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15 April 2025, 12:00 PM IST

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