भारत में इस साल पड़ेगी कड़ाके की ठंड,ला नीना बढ़ा सकता है शीतलहर
भारत में इस साल कड़ाके की ठंड पड़ सकती है. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि 2025 के अंत तक ला नीना की परिस्थितियां विकसित हो सकती हैं. जिससे शीतलहर और हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी बढ़ने की आशंका है.

Winter This Year: भारत समेत दुनिया भर में इस साल मौसम का पैटर्न बदल सकता है. मौसम वैज्ञानिकों ने चेताया है कि 2025 के अंत तक ला नीना (La Nina) की स्थिति विकसित होने की संभावना है. इसके कारण भारत में भीषण ठंड और शीतलहर का सामना करना पड़ सकता है.
अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस (NWS) के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने 11 सितंबर को जारी रिपोर्ट में कहा है कि अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच ला नीना बनने की 71% संभावना है. हालांकि दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के दौरान यह संभावना घटकर 54% तक रह सकती है, लेकिन फिलहाल ला नीना वॉच प्रभावी है.
क्या है ला नीना?
ला नीना प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय क्षेत्र में समुद्र सतह के असामान्य रूप से ठंडा होने की स्थिति है. यह वैश्विक मौसम चक्र को प्रभावित करती है. भारत में आमतौर पर यह घटना ठंडी और लंबी सर्दियों का कारण बनती है.
IMD का ताजा अनुमान
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अपने हालिया ENSO बुलेटिन में बताया कि अभी तटस्थ परिस्थितियां हैं. यानी न तो एल नीनो सक्रिय है और न ही ला नीना. हालांकि विभाग का कहना है कि मॉनसून के बाद ला नीना की संभावना बढ़ जाएगी.
एक वरिष्ठ आईएमडी अधिकारी ने कहा, “हमारे मॉडल अक्टूबर-दिसंबर में ला नीना विकसित होने की 50% से अधिक संभावना दिखा रहे हैं. ला नीना के दौरान भारत में सर्दियां सामान्य से ठंडी होती हैं. हालांकि जलवायु परिवर्तन के कारण गर्माहट कुछ असर कम कर सकती है, लेकिन ठंडी लहरें बढ़ सकती हैं.”
स्काइमेट का दावा
निजी मौसम संस्था स्काइमेट वेदर के अध्यक्ष जीपी शर्मा ने कहा कि अल्पकालिक ला नीना की स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा, प्रशांत महासागर का तापमान पहले ही सामान्य से ठंडा है. यदि यह -0.5°C से नीचे तीन तिमाहियों तक बना रहता है, तो इसे ला नीना घोषित कर दिया जाएगा. 2024 के अंत में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी जब नवंबर से जनवरी तक अल्पकालिक ला नीना रहा. शर्मा ने आगे कहा, भले ही औपचारिक घोषणा न हो, लेकिन प्रशांत महासागर का ठंडा होना वैश्विक मौसम को प्रभावित करेगा. अमेरिका में सूखी सर्दियों का खतरा है, जबकि भारत में यह कड़ाके की ठंड और हिमालयी क्षेत्रों में अधिक बर्फबारी ला सकता है.
क्या कहते हैं अध्ययन?
आईआईएसईआर मोहाली और ब्राजील के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च ने 2024 में किए गए एक संयुक्त अध्ययन में पाया था कि ला नीना वर्षों के दौरान उत्तर भारत में ठंडी लहरें अधिक बार और लंबी अवधि तक चलती हैं. अध्ययन के मुताबिक, ला नीना के दौरान निचले स्तर पर बनने वाली चक्रीय हवाएं उत्तरी अक्षांशों से ठंडी हवा भारत की ओर खींच लाती हैं.


