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भारत अब रक्षा खरीद में नहीं बरतेगा नरमी, सरकार ने डिफेंस नियमों में किया बड़ा बदलाव

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत किया है. इमर्जेंसी हथियारों की खरीद नीति में बदलाव कर सरकार ने एक साल में डिलीवरी सुनिश्चित करने का नियम लागू किया. एस-400 और अन्य उपकरणों की सप्लाई में देरी पर भी फोकस है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्लीः ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की सुरक्षा रणनीति में सतर्कता को और मजबूत करने की आवश्यकता स्पष्ट हो गई है. ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान को झटका देने के बाद अब संभावना है कि वह किसी भी पल पलटवार कर सकता है. इसके अलावा, चीन जैसे पड़ोसी और पाकिस्तान का गहरा मित्र होने के कारण भारत को अपनी रक्षा तैयारियों में किसी प्रकार की कोताही बिल्कुल नहीं बरतनी चाहिए. इस रणनीति के तहत भारत ने हथियारों की खरीद नीति में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं.

हथियार खरीद नीति में नया बदलाव

रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने बताया कि इमर्जेंसी क्लॉज के तहत हथियारों की खरीद से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है. नए नियम के अनुसार, यदि किसी सौदे की डिलीवरी एक साल के भीतर पूरी नहीं होती है, तो सरकार उस डील को रद्द करने का अधिकार रखती है. सिंह ने कहा कि इससे आपूर्तिकर्ता कंपनियों पर दबाव पड़ेगा कि वे समय पर अपने वादे पूरे करें.

इस कदम का उद्देश्य भारत की सुरक्षा और तैयारी को सुनिश्चित करना है, ताकि ऑपरेशन सिंदूर जैसे किसी भी अप्रत्याशित सैन्य घटनाक्रम में भारतीय सेनाओं के पास पूरी क्षमता से लैस उपकरण मौजूद हों.

एस-400 डिफेंस सिस्टम

रक्षा सचिव ने एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के मामले का भी उल्लेख किया. भारत ने 2018 में रूस के साथ पांच स्क्वाड्रन के लिए यह सौदा किया था, लेकिन रूस और यूक्रेन के युद्ध में उलझने के कारण अब तक केवल तीन स्क्वाड्रन ही भारत को मिल पाए हैं. भारत को शेष दो स्क्वाड्रन की भी आवश्यकता है ताकि सीमा सुरक्षा को पूरी तरह सुनिश्चित किया जा सके.

सिंह ने कहा कि यह सौदा इमर्जेंसी क्लॉज के अंतर्गत नहीं आता, इसलिए इसे रद्द करने का सवाल नहीं है. वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा. पुतिन 5 दिसंबर को भारत आ रहे हैं और उनके दौरे में कई महत्वपूर्ण समझौते होने की संभावना है.

कड़ी नीति की जरूरत क्यों पड़ी?

रक्षा सचिव ने बताया कि इमर्जेंसी हथियारों की खरीद में कड़े नियम इसलिए लागू किए गए हैं क्योंकि चीन के साथ एलओसी पर तनाव के दौरान कई आपातकालीन हथियार सौदे किए गए थे, जिनकी डिलीवरी अब तक नहीं हुई. ऑपरेशन सिंदूर के बाद तीनों सेनाओं को अपने बजट का 15% इमरजेंसी खरीद में खर्च करने की मंजूरी दी गई थी.

उन्होंने यह भी कहा कि हथियारों की डिलीवरी में देरी केवल देसी कंपनियों की गलती नहीं है. रूस, इजरायल और अमेरिकी कंपनियों की आपूर्ति में भी देरी हुई है. उदाहरण के लिए रूस के एस-400, इजरायल से हथियार और अमेरिकी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) के एफ404 इंजन, जो तेजस एमके1ए फाइटर जेट में इस्तेमाल होने हैं, की डिलीवरी में देरी हुई.

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29 November 2025, 10:14 AM IST

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