भारतीय नौसेना ने 'INSV Kaundinya' को किया शामिल, 5वीं शताब्दी के जहाज से प्रेरित

भारतीय नौसेना ने 'INSV Kaundinya' नामक ऐतिहासिक सिले हुए जहाज को अपने बेड़े में शामिल किया, जो पांचवीं शताब्दी के जहाजों से प्रेरित है.

भारतीय नौसेना ने अपने बेड़े में एक ऐतिहासिक जहाज को शामिल किया है. इस जहाज का नाम 'INSV Kaundinya' रखा गया है और इसे भारतीय नौसेना ने आधिकारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल कर लिया. ये जहाज कर्नाटका के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण करवार नौसैनिक अड्डे पर आयोजित एक भव्य समारोह में भारतीय नौसेना का हिस्सा बना.

'INSV Kaundinya' भारतीय नौसेना की समृद्ध समुद्री परंपराओं का प्रतीक बनकर उभरा है. इस जहाज का निर्माण पांचवीं शताब्दी के जहाजों की तर्ज पर किया गया है, जो अजंता गुफाओं की चित्रकला में दर्शाए गए थे. ये परियोजना भारत की प्राचीन जहाज निर्माण कला को पुनर्जीवित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो समुद्र के मार्गों पर भारतीय साम्राज्य की समृद्ध इतिहास को प्रदर्शित करता है.

INSV Kaundinya का नामकरण और उद्देश्य

'INSV Kaundinya' का नाम भारत के महान नाविक कौंडिन्य के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने हिंद महासागर को पार करके दक्षिण-पूर्व एशिया की यात्रा की थी. इस जहाज का निर्माण एक असाधारण परियोजना का हिस्सा है. संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की अध्यक्षता की और इस परियोजना की सफलता पर खुशी व्यक्त की.

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

INSV Kaundinya में कई सांस्कृतिक प्रतीक उकेरे गए हैं, जो भारतीय जलयान निर्माण की समृद्ध परंपराओं को दर्शाते हैं. जहाज के पालों पर गंधभेरुंड और सूर्य के रूपांकनों का चित्रण किया गया है, जो शक्ति और समृद्धि के प्रतीक हैं. वहीं, इसकी नोक पर एक नक्काशीदार सिंह याली और डेक पर एक प्रतीकात्मक हड़प्पा शैली का पत्थर का एंकर भी मौजूद है, जो प्राचीन भारत की समृद्ध समुद्री संस्कृति का प्रतीक है.

INSV Kaundinya की अगली यात्रा

INSV Kaundinya अब भारतीय नौसेना का हिस्सा बन चुका है और इसे करवार में तैनात किया जाएगा. जहाज अपनी पहली ऐतिहासिक यात्रा के लिए तैयार है, जिसमें ये गुजरात से ओमान तक के प्राचीन व्यापार मार्गों पर एक ट्रांस-ओशनिक यात्रा करेगा. ये यात्रा इस साल के अंत में शुरू होगी और भारतीय समुद्री परंपराओं और शिल्पकला को दुनिया भर में प्रदर्शित करेगी.

नौसेना का महत्वपूर्ण योगदान

भारतीय नौसेना ने इस परियोजना में अहम भूमिका निभाई है. नौसेना ने जहाज के डिजाइन, तकनीकी परीक्षण और निर्माण प्रक्रिया की निगरानी की. चूंकि इस प्रकार के जहाजों का कोई मौजूदा ब्लूप्रिंट नहीं था, इसलिए इस जहाज का डिजाइन चित्रकला और ऐतिहासिक स्रोतों से लिया गया. भारतीय नौसेना ने शिपबिल्डर्स के साथ मिलकर इस जहाज के ढांचे और पारंपरिक पतवार को फिर से सृजित किया और इसकी सत्यता को IIT मद्रास के महासागर अभियंत्रण विभाग द्वारा हाइड्रोडायनामिक मॉडल परीक्षण के जरिए सुनिश्चित किया.

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22 May 2025, 03:23 PM IST

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