मीडिया दफ्तरों में आगजनी, शहरों में तनाव...बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल, उस्मान हादी की मौत के बाद उबला ढाका
बांग्लादेश में युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देशभर में हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे हैं. चुनाव से पहले राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई है, भारत-विरोधी नारे लगे हैं और सरकार के सामने कानून-व्यवस्था संभालने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है.

नई दिल्लीः बांग्लादेश इस समय गंभीर राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है. युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की जानलेवा हमले के बाद हुई मौत ने पूरे देश में उबाल ला दिया है. गुरुवार देर रात उनके निधन की पुष्टि होते ही कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं. फरवरी 2026 में प्रस्तावित राष्ट्रीय चुनावों से पहले यह अशांति देश की स्थिरता के लिए बड़ी चुनौती बन गई है.
कौन थे शरीफ उस्मान हादी?
32 वर्षीय शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेश के उभरते राजनीतिक चेहरों में गिने जाते थे. वे सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन इंकलाब मंच के प्रवक्ता थे, जिसकी स्थापना जुलाई 2024 के जनविद्रोह के बाद हुई थी. यही आंदोलन आगे चलकर तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने और उनके भारत जाने की वजह बना.
हादी आगामी आम चुनावों में ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे थे. वे भारत और अवामी लीग की नीतियों के मुखर आलोचक माने जाते थे, जिस कारण उनकी लोकप्रियता युवाओं के बीच तेजी से बढ़ रही थी.
कैसे हुआ हादी पर हमला?
पिछले शुक्रवार को ढाका के बिजोयनगर इलाके में हादी अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत कर रहे थे. इसी दौरान नकाबपोश हमलावरों ने उन पर अचानक हमला कर दिया. बताया गया कि एक हमलावर मोटरसाइकिल पर पीछे बैठा था और चलते रिक्शा में सवार हादी के सिर में गोली मार दी गई.
हमले के बाद हादी को गंभीर हालत में स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से बाद में उन्हें एयरलिफ्ट कर सिंगापुर ले जाया गया. छह दिनों तक वे लाइफ सपोर्ट पर रहे, लेकिन गुरुवार को उनकी मौत हो गई.
मौत के बाद भड़की हिंसा
हादी की मौत की खबर फैलते ही देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए. प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर नारेबाजी की, सरकारी और राजनीतिक इमारतों को निशाना बनाया और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया. ढाका, राजशाही और चटगांव जैसे बड़े शहरों में हालात सबसे ज्यादा तनावपूर्ण रहे.
गुस्साई भीड़ ने प्रमुख अखबार प्रोथोम आलो और डेली स्टार के दफ्तरों में आग लगा दी. बताया गया कि आग लगने के वक्त कर्मचारी अंदर मौजूद थे, जिन्हें बाद में मुश्किल से सुरक्षित बाहर निकाला जा सका. दमकल विभाग को भी प्रदर्शनकारियों के कारण घटनास्थल तक पहुंचने में देरी हुई.
भारत विरोधी प्रदर्शनों में भी उछाल
हादी की मौत के बाद भारत विरोधी भावनाएं भी खुलकर सामने आईं. चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायोग के बाहर प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की और भारत तथा अवामी लीग के खिलाफ नारे लगाए. ढाका में भी भारतीय उच्चायोग की ओर मार्च करने की कोशिश की गई, जिसे पुलिस ने रोक दिया. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि भारत बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप कर रहा है और शेख हसीना को संरक्षण दे रहा है.
अंतरिम सरकार का सख्त संदेश
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए हादी की मौत पर गहरा दुख जताया और दोषियों को सख्त सजा दिलाने का भरोसा दिया. उन्होंने कहा कि यह एक क्रूर हत्या है और इसमें शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा. यूनुस ने नागरिकों से संयम बरतने की अपील करते हुए कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. हादी के सम्मान में शनिवार को देशभर में राजकीय शोक दिवस घोषित किया गया है.
आगे की चुनौती
शरीफ उस्मान हादी की मौत ने बांग्लादेश में पहले से मौजूद असंतोष को और भड़का दिया है. चुनाव से पहले बढ़ती हिंसा, भारत-विरोधी भावना और राजनीतिक अस्थिरता आने वाले समय में देश के लिए बड़ी परीक्षा साबित हो सकती है. अब सबकी नजर इस पर है कि सरकार हालात को कितनी जल्दी नियंत्रण में ला पाती है और न्याय की प्रक्रिया कितनी प्रभावी रहती है.


