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बांग्लादेश में बढ़ती इस्लामिक कट्टरता, हिंदुओं को जिंदा जला रहे कट्टरपंथी...क्या आंदोलनजीवी के आगे बेबस है युनूस सरकार?

बांग्लादेश के मयमनसिंह में कथित ईशनिंदा के आरोप में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ ने हत्या कर दी. राजनीतिक अशांति के बीच हुई इस घटना ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्लीः बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले से एक बेहद दर्दनाक और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है. गुरुवार रात कथित ईशनिंदा के आरोप में एक हिंदू युवक की भीड़ ने बेरहमी से हत्या कर दी. यह घटना ऐसे समय पर हुई है, जब देश पहले से ही राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौर से गुजर रहा है.

कौन था मृतक युवक?

मृतक की पहचान दीपू चंद्र दास के रूप में हुई है. वह मयमनसिंह जिले के भालुका उपज़िला स्थित दुबालिया पारा इलाके में किराए के मकान में रहता था और एक कपड़ा कारखाने में काम करता था. दीपू एक साधारण मजदूर था, जो रोज़मर्रा की ज़िंदगी जी रहा था और अपने परिवार का सहारा था.

क्या है पूरा मामला?

पुलिस के मुताबिक, स्थानीय लोगों के एक समूह ने दीपू चंद्र दास पर पैगंबर मोहम्मद (PBUH) को लेकर कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया. आरोप लगते ही हालात बेकाबू हो गए. रात करीब 9 बजे गुस्साई भीड़ ने दीपू को घेर लिया और उस पर हमला कर दिया.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भीड़ ने उसे बेरहमी से पीटा. हिंसा यहीं नहीं रुकी, बल्कि आरोप है कि हत्या के बाद उसके शव को एक पेड़ से बांध दिया गया और आग लगा दी गई. इस अमानवीय कृत्य ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी.

पुलिस की कार्रवाई

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रण में लिया. पुलिस ने शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए मयमनसिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया है. हालांकि, इस मामले में अब तक कोई औपचारिक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है.

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वे मृतक के परिजनों की तलाश कर रहे हैं. परिवार की ओर से शिकायत दर्ज होते ही कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी. वहीं, स्थानीय प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं कि समय रहते भीड़ को क्यों नहीं रोका जा सका.

राजनीतिक अशांति की वजह

यह घटना ऐसे समय पर हुई है, जब बांग्लादेश में पहले से ही हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. हाल ही में कट्टरपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता और जुलाई विद्रोह के प्रमुख नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. शरीफ उस्मान हादी की सिंगापुर में इलाज के दौरान गोली लगने से हुई चोटों के कारण मृत्यु हुई थी.

उनकी मौत के बाद समर्थकों और विभिन्न कट्टरपंथी समूहों में भारी आक्रोश है, जिसका असर देश की कानून-व्यवस्था पर साफ दिखाई दे रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि इसी उथल-पुथल के माहौल में भीड़ हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं.

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल

इस घटना ने एक बार फिर बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि कथित ईशनिंदा के मामलों में भीड़ द्वारा कानून अपने हाथ में लेना बेहद खतरनाक प्रवृत्ति है. विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार और प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे, ताकि ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सके और दोषियों को कड़ी सजा मिले.

आगे की चुनौती

फिलहाल पूरे इलाके में तनाव का माहौल है और पुलिस सतर्कता बरत रही है. यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था, धार्मिक सहिष्णुता और मानवाधिकारों से जुड़ा गंभीर सवाल बन गया है. आने वाले दिनों में प्रशासन की कार्रवाई पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी.

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19 December 2025, 11:34 AM IST

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