निमिषा प्रिया को बचाने की आखिरी उम्मीद? भारतीय सुन्नी नेता की पहल से बदली तस्वीर
केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी टालने के लिए यमन में ब्लड मनी के जरिए माफी की कोशिशें तेज हो गई हैं. ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम के हस्तक्षेप से पीड़ित परिवार से पहली बार बातचीत की राह बनी है.

यमन में मौत की सजा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया को बचाने के लिए एक बार फिर कोशिशें तेज हैं. मंगलवार को यमन के दमर शहर में पीड़ित तालाल अब्दो महदी के परिवार से बातचीत के लिए एक अहम बैठक आयोजित की गई है. यह बैठक भारत के प्रमुख सुन्नी मुस्लिम धर्मगुरु और ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के हस्तक्षेप के बाद संभव हो पाई है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस बैठक का मकसद महदी के परिवार को ‘ब्लड मनी’ (रक्तपात मुआवजा) के जरिए क्षमा के लिए राजी करना है, जिससे निमिषा की तय फांसी को टाला जा सके. यमन की शरीया कानून व्यवस्था के अनुसार, फांसी केवल तभी रोकी जा सकती है जब पीड़ित का परिवार क्षमा कर दे.
कंथापुरम मुसलियार की पहल से बनी बातचीत की राह
94 वर्षीय कंथापुरम, जिन्हें आधिकारिक रूप से शेख अबूबकर अहमद के नाम से जाना जाता है, उन्होंने यमन के धार्मिक नेताओं से संपर्क साधा और सूफी विचारधारा के वैश्विक नेता शेख हबीब उमर बिन हाफिज से भी समर्थन मांगा. हबीब उमर की मध्यस्थता में आज मंगलवार सुबह 10 बजे (स्थानीय समयानुसार) दमर में महदी के परिवार के साथ प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित की गई.
पीड़ित के परिवार का प्रमुख सदस्य भी पहुंचा दमर
कंथापुरम के कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि पीड़ित के एक करीबी रिश्तेदार, जो होडेदाह स्टेट कोर्ट के चीफ जस्टिस और यमनी शूरा काउंसिल के सदस्य हैं, दमर पहुंच चुके हैं. उन्हें यह कदम उठाने की सलाह शेख हबीब उमर बिन हाफिज ने ही दी थी. बयान में ये भी कहा गया कि पीड़ित का यह रिश्तेदार खुद उमर बिन हाफिज के सूफी सिलसिले का अनुयायी है और एक प्रसिद्ध सूफी नेता का बेटा है.
'ये हमारे लिए आशा की एक बड़ी किरण है..'
कंथापुरम के करीबी सूत्रों के अनुसार, दमर में मौजूद प्रतिनिधि ना केवल परिवार से क्षमा की अपील करेंगे, बल्कि यमन के अटॉर्नी जनरल से भी मिलकर बुधवार को निर्धारित फांसी को स्थगित करने की अपील करेंगे. बैठक को लेकर कहा गया कि परिवार द्वारा हबीब उमर बिन हाफिज के प्रतिनिधियों से वार्ता के लिए सहमत होना हमारे प्रयासों के लिए सकारात्मक संकेत है.
भावनात्मक मामला बना बड़ी रुकावट
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि महदी की हत्या केवल उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि दमर क्षेत्र की जनजातियों और स्थानीय नागरिकों के लिए भी एक भावनात्मक मुद्दा बन चुका है. इसी वजह से अब तक उनके परिवार से कोई संपर्क नहीं हो पाया था. कंथापुरम कार्यालय का बयान में कहा गया है कि केवल कंथापुरम के हस्तक्षेप से ही यह पहला अवसर आया है जब पीड़ित परिवार से बातचीत संभव हो सकी है.
सर्वोच्च न्यायालय में भारत सरकार की सीमाएं स्पष्ट
सोमवार को भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ये स्पष्ट किया कि निमिषा प्रिया को बचाने के लिए उसके पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ को बताया कि सरकार निजी स्तर पर पूरी कोशिश कर रही है और यमन के कुछ प्रभावशाली शेखों और नेताओं से संपर्क किया गया है.


