Murshidabad Riots: पश्चिम बंगाल में लगेगा राष्ट्रपति शासन? राज्यपाल ने गृह मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट

राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने पश्चिम बंगाल में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और प्रशासनिक विफलताओं को लेकर केंद्र को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें अनुच्छेद 356 लागू करने का भी संकेत दिया गया है. मुर्शिदाबाद-मालदा की हिंसा को लेकर उन्होंने केंद्रीय हस्तक्षेप की मांग की है.

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें राज्य में बढ़ते उग्रवाद, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और प्रशासनिक तंत्र के ढहने को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है. खासकर मुर्शिदाबाद और मालदा में हुई हालिया हिंसा के बाद राज्यपाल ने केंद्र सरकार से संवैधानिक विकल्पों पर विचार करने की सिफारिश की है, जिनमें अनुच्छेद 356 का उल्लेख भी शामिल है.

18 और 19 अप्रैल को राज्यपाल ने हिंसा प्रभावित जिलों का दौरा किया था, जिसके बाद गृह मंत्रालय को ये गोपनीय रिपोर्ट भेजी गई. उन्होंने मुर्शिदाबाद की हिंसा को पूर्व नियोजित बताते हुए दावा किया कि ये केंद्र सरकार द्वारा वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की अधिसूचना के बाद फैली असंतोष की भावना का परिणाम थी. इस हिंसा में अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें एक पिता-पुत्र भी शामिल हैं.

पहले से थी जानकारी, फिर भी सुरक्षा चूक?

राज्यपाल की रिपोर्ट में ये स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य सरकार को तनाव की स्थिति के बारे में पहले से जानकारी थी. 8 अप्रैल को जिस दिन अधिनियम की अधिसूचना जारी की गई, उसी दिन इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी गई. जो ये दर्शाता है कि प्रशासन को स्थिति बिगड़ने की आशंका थी. इसके बावजूद कोई प्रभावी सुरक्षा तंत्र सक्रिय नहीं किया गया, ऐसा राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा.

सीमा क्षेत्रों में उग्रवाद और कट्टरता का खतरा

राज्यपाल बोस ने खास तौर पर मुर्शिदाबाद और मालदा जैसे सीमावर्ती जिलों में उग्रवाद और धार्मिक चरमपंथ के दोहरे खतरे का उल्लेख किया है. उन्होंने केंद्र सरकार से निम्नलिखित तत्काल कदम उठाने की सिफारिश की है:- 

  • प्रशासनिक विफलताओं की जांच के लिए एक आयोग का गठन

  • कानून-व्यवस्था के संकट से निपटने हेतु केंद्रीय हस्तक्षेप कानून का मसौदा

  • सीमा क्षेत्रों में स्थायी बीएसएफ-सीएपीएफ चौकियों की स्थापना

  • बांग्लादेश सीमा से लगे जिलों में निगरानी को और सख्त करना

राज्यपाल ने चेताया कि राजनीतिक दल धार्मिक पहचान का उपयोग कर अशांति फैला रहे हैं, जिससे राज्य में गंभीर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की स्थिति बन रही है.

अनुच्छेद 356 का विकल्प खुला

राज्यपाल की रिपोर्ट में अनुच्छेद 356 यानी राष्ट्रपति शासन का भी उल्लेख किया गया है. हालांकि उन्होंने इसकी तत्काल सिफारिश नहीं की, लेकिन कहा कि अगर हालात और बिगड़ते हैं, तो ये संवैधानिक विकल्प केंद्र के लिए खुला है. एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि ये केवल एक वैधानिक संभावना के तौर पर रिपोर्ट में दर्ज है, ना कि कोई तात्कालिक प्रस्ताव.

दौरे के बाद बीमार पड़े राज्यपाल

राज्यपाल बोस मुर्शिदाबाद दौरे के बाद अस्वस्थ हो गए थे. 19 अप्रैल को उन्हें कमांड अस्पताल में भर्ती कराया गया और बाद में कोलकाता के अपोलो अस्पताल में स्थानांतरित किया गया, जहां 1 मई को उनका हार्ट सर्जरी हुआ. फिलहाल उनका इलाज जारी है.

राज्यपाल बोस ने अपनी रिपोर्ट में राज्य सरकार की प्रतिक्रिया की तीखी आलोचना की. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक और पुलिस एजेंसियों के बीच बेहद कमजोर समन्वय रहा. उन्होंने केंद्र से तत्काल हस्तक्षेप कर राज्य में कानून का राज बहाल करने की अपील की. अब तक राज्य सरकार या सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस की ओर से इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.

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04 May 2025, 08:17 PM IST

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