केन्द्र के अध्यादेश पर बोले राघव चड्ढा- ये सुप्रीम कोर्ट और जनता के जनादेश की अवमानना है

दिल्ली में सेवाओं को राज्य सरकार के नियंत्रण में रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से अध्यादेश लाए जाने के एक दिन बाद, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने केन्द्र सरकार की जमकर आलोचना की है.

Sagar Dwivedi
Sagar Dwivedi

दिल्ली में सेवाओं को राज्य सरकार के नियंत्रण में रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से अध्यादेश लाए जाने के एक दिन बाद, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने केन्द्र सरकार की जमकर आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट कर केन्द्र सरकार पर हमला किया है। अपने ट्वीट में राघव चड्ढा ने क्या बातें कहीं ये हम आपको बताएंगे, ये भी बताएंगे कि इस अध्यादेश में क्या है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार केजरीवाल सरकार को दे दिया था, लेकिन शुक्रवार रात को केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर दिया। इसके तहत नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी गठित होगी। ऐसे में उपराज्यपाल के पास फिर से शक्तियां लौट आईं। इस पर अब आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने निशाना साधा है।

आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद ने ट्वीट कर केन्द्र सरकार पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि यह संघवाद और चुनी हुई सरकारों को दी गई संवैधानिक शक्तियों का पूरी तरह से उल्लंघन है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की सांविधानिक पीठ के सर्व सहमति के फैसले को एक राजनीतिक ऑर्डिनेंस लाकर पलटने का दुस्साहस केंद्र सरकार ने किया। ये ऑर्डिनेंस देश के संघीय ढांचे और चुनी सरकार की शक्तियों को तार-तार करता है। ये माननीय सुप्रीम कोर्ट और जनता के जनादेश दोनों की अवमानना है।

 

मामले में दिल्ली की मंत्री आतिशा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि लोकतंत्र और संविधान की हत्या करने वाला है मोदी सरकार का ये अध्यादेश, जो ताकत सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने चुनी हुई सरकार को दी, ये उसकी ताकत को गैर संवैधानिक तरीके से छीनने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मतलब है- दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल को चुनकर भेजा है, तो 3 विषयों को जैसे लैंड, लॉ एंड ऑर्डर, पुलिस छोड़कर निर्णय लेने की ताकत मुख्यमंत्री के पास है। एलजी को राज्य सरकार के निर्णय को मानना चाहिए।

बता दें कि अध्यादेश के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण का गठन होगा, जिसके पास ट्रांसफर-पोस्टिंग और विजिलेंस का जिम्मा होगा। इसमें दिल्ली के सीएम, मुख्य सचिव और गृह सचिव होंगे। तीनों में बहुमत के हिसाब से फैसला होगा। इसके बाद अंतिम फैसला उपराज्यपाल लेंगे। इसको इस तरह से समझें कि अब फिर से एलजी दिल्ली के बॉस हो गए हैं। उनके पास ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार आ गया है।

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20 May 2023, 05:20 PM IST

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