ना नहर देंगे, ना दबाव में आएंगे: पंजाब के सीएम की हरियाणा को दो टूक
'ना नहर देंगे, ना दबाब में आएंगे'-पंजाब के सीएम ने भाखड़ा बांध के पानी विवाद पर हरियाणा को साफ चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अब हालात पहले जैसे नहीं रहे. पंजाब के पास खुद के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं है. ऐशे में कोई अतिरिक्त पानी हरियाणा को देने का सवाल नहीं नहीं उठता.

पंजाब न्यूज. पंजाब हरियाणा के बीच भाखड़ा बांध पानी के बंटवारे को लेकर विवाद एक बार फिर सुलग उठा है. पंजाब सरकार ने हरियाणा को पानी देने से साफ इनकार कर दिया है. इस विवाद पर अब पंजाब विधानसभा में विशेष सत्र बुलाया गया है, जिससे सीएम मान ने इस मामले को लेकर अपनी स्थिति साफ की है. पंजाब सरकार का कहना है कि राज्य में पानी की कोई अतिरिक्ति आपूर्ति नहीं है और सिंचाई प्रणाली में किए गए सुधार के बाद कोई भी फालतू पानी हरियाणा को नहीं दिया जा सकता. पंजाब सरकार का कहना है कि राज्य में पानी की कोई अतिरिक्त आपूर्ति नहीं है और सिंचाई प्रणाली में किए गए सुधार के बाद कोई अतिरिक्त पानी हरियाणा को नहीं दिया जा सकता।
पंजाब सरकार का दृढ़ रुख
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मीडिया से बात करते हुए साफ किया कि पंजाब हरियाणा को पानी नहीं देगा। उनका कहना था कि पहले ही हरियाणा को 20 प्रतिशत पानी देने की बात हो चुकी थी, और वह पानी खर्च हो चुका है। पंजाब सरकार का दावा है कि आंकड़े उनके पक्ष में हैं और हरियाणा का पानी मांगने का दावा सही नहीं है। मान ने यह भी कहा कि पंजाब में पानी की कमी है, और इस समय अतिरिक्त पानी देने का सवाल ही नहीं उठता।
केंद्र सरकार की दखलअंदाजी
भाखड़ा बांध के पानी को लेकर चल रहा यह विवाद अब केंद्र सरकार के स्तर तक पहुंच चुका है। केंद्र ने इस मामले में दखल देना शुरू कर दिया है, और कई बैठकों का आयोजन किया जा चुका है। हालांकि, पंजाब सरकार ने इस पर अपनी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट कर दी है, और उसका कहना है कि राज्य के हितों की रक्षा के लिए वह किसी भी दबाव में नहीं आएंगे।
पानी पर टकराव
पंजाब और हरियाणा के बीच पानी का बंटवारा हमेशा से एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। भाखड़ा बांध का पानी दोनों राज्यों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन हरियाणा की बढ़ती मांग और पंजाब की सिंचाई आवश्यकताओं के कारण यह विवाद लगातार गहराता जा रहा है। हरियाणा का कहना है कि उसे उसका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है, जबकि पंजाब सरकार का कहना है कि उसके पास पानी का कोई अतिरिक्त स्रोत नहीं है।
आगे क्या होगा ?
अब देखना होगा कि पंजाब सरकार इस विवाद पर आगे क्या कदम उठाती है और केंद्र सरकार इस मामले पर कब तक कोई ठोस समाधान निकाली है. पंजाब विधानसाभा का विशेष सत्र इस विवाद पर ठोस फैसले की ओर बढ़ने की उम्मीदें जगाता है, लेकिन यह साफ है कि इस विवाद का समाधान आसान नहीं होगा. दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर राजनीतिक और सामाजिक दबाव बढ़ने के साथ, यह मामला और भी जटिल हो सकता है.