राहुल गांधी का पुंछ दौरा: सरहद की तकलीफों से हुए रूबरू, कहा – दुख की इस घड़ी में मैं साथ हूं
राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर के पुंछ पहुंचे, जहां उन्होंने पाकिस्तान की गोलीबारी में मारे गए लोगों के घर जाकर उनके परिवारों से मुलाकात की. दुख बांटा, हालचाल जाना और सरकार से मदद की भी बात की. पूरी खबर पढ़िए, जानिए क्या-क्या कहा राहुल ने और क्या मांग की सरकार से!

Jammu & Kashmir: देश की राजनीति में कई बार नेता दूर की तस्वीर बन जाते हैं, लेकिन जब कोई नेता सीधे ज़मीन पर जाकर लोगों का हाल जाने, दुख बांटे और समाधान की बात करे, तो वो असर अलग होता है. ऐसा ही कुछ देखने को मिला जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी शनिवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के दौरे पर पहुंचे.
पुंछ में मातम और मुलाकातें
राहुल गांधी पाकिस्तान की तरफ से की गई गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिजनों से मिलने पुंछ पहुंचे. वहां उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उनका दुख साझा किया और भरोसा दिलाया कि वे अकेले नहीं हैं. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद ये उनका जम्मू-कश्मीर का दूसरा दौरा था. इससे पहले वो 25 अप्रैल को श्रीनगर भी गए थे.
#WATCH | जम्मू-कश्मीर: लोकसभा में विपक्ष के नेता व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पुंछ पहुंचे।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 24, 2025
वे पाकिस्तान द्वारा सीमा पार से की गई गोलाबारी से प्रभावित परिवारों से मुलाकात करेंगे। pic.twitter.com/KRGdcqNA4K
पुंछ में पाकिस्तान की ओर से हुई गोलीबारी में अब तक 20 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. राहुल गांधी ने इस दर्द को करीब से समझने के लिए करीब तीन घंटे वहां बिताए. उन्होंने गोलीबारी से प्रभावित अन्य लोगों की समस्याएं भी सुनीं.
चॉपर से पहुंचे पुंछ, बंकरों पर भी चर्चा
राहुल गांधी शनिवार सुबह करीब 9 बजे जम्मू एयरपोर्ट पहुंचे और वहां से चॉपर के जरिए सीधे पुंछ के लिए रवाना हुए. उनके साथ कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी रमण भल्ला और युवा नेता नीरज कुंदन भी थे. पुंछ पहुंचने के बाद उन्होंने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की और सीमांत इलाकों में सुरक्षा इंतजामों पर चर्चा की.
उन्होंने सीमावर्ती गांवों में बंकरों के निर्माण और मरम्मत की धीमी रफ्तार पर चिंता जताई और सरकार से मांग की कि इन इलाकों में लोगों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएं. साथ ही उन्होंने एक व्यापक राहत पैकेज की भी जरूरत बताई ताकि जिन लोगों ने अपनों को खोया है, उन्हें थोड़ी राहत मिल सके.
राहुल गांधी की मौजूदगी ने बंधाया भरोसा
राहुल गांधी का यह दौरा सिर्फ एक औपचारिकता नहीं था, बल्कि एक सशक्त संदेश था कि नेता ज़मीन पर जाकर जनता का दुख समझें. उनकी इस पहल से प्रभावित परिवारों को थोड़ी राहत महसूस हुई और उनमें यह उम्मीद जगी कि शायद उनके हालात बदल सकें.
जाते-जाते कहा – “आप अकेले नहीं हैं”
दौरे के अंत में राहुल गांधी ने साफ शब्दों में कहा कि सरहद पर रहने वाले देश के असली सिपाही हैं और उनकी सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए. शनिवार शाम को वे दिल्ली लौट गए लेकिन अपने पीछे उम्मीद और भरोसे की एक किरण छोड़ गए."


