आरसीबी के नौकर बन बैठे अफसर, कर्नाटक सरकार ने कोर्ट में दी दलील
कर्नाटक सरकार ने उच्च न्यायालय में दलील दी कि आईपीएस अधिकारी विकास कुमार का निलंबन पूरी तरह से सही और कानूनन उचित है.

कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को उच्च न्यायालय में दलील दी कि आईपीएस अधिकारी विकास कुमार का निलंबन पूरी तरह से सही और कानूनन उचित है. यह कदम बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून को हुई भगदड़ के मद्देनज़र उठाया गया था. इस घटना में भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी क्योंकि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की पहली आईपीएल जीत के बाद प्रशंसकों में जश्न का माहौल था.
महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने क्या कहा?
राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने अदालत में कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी विकास कुमार और अन्य ने अपनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं किया और "आरसीबी के नौकरों" की तरह व्यवहार किया. उन्होंने कहा कि आरसीबी और पंजाब किंग्स के बीच फाइनल मैच से पहले ही पुलिस को एक आवेदन मिला था, जिसमें बताया गया था कि जीत होने पर आरसीबी जश्न मनाने की योजना बना रही है. लेकिन पुलिस अधिकारियों ने बिना किसी वैध अनुमति के सुरक्षा तैयारियां शुरू कर दीं, जो कि कानूनन और प्रशासनिक रूप से गलत था.
राज्य सरकार ने कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें विकास कुमार के निलंबन को रद्द किया गया था. सरकार का कहना है कि यह आदेश कैट के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और इसे निरस्त किया जाना चाहिए.
पुलिस ने जारी नहीं की निषेधाज्ञा
सरकार ने यह भी कहा कि केवल 12 घंटे पहले जानकारी मिलने पर ऐसी भीड़ को संभालना मुश्किल होता है, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने निषेधाज्ञा जारी नहीं की और जश्न की व्यवस्था करती रही. 5 जून को केंद्र सरकार ने कर्तव्य में लापरवाही के आधार पर विकास कुमार के निलंबन को मंजूरी दी थी. फिलहाल राज्य सरकार उच्च न्यायालय से इस निलंबन को वैध ठहराने की मांग कर रही है.


