सुप्रीम कोर्ट में पहली बार OBC आरक्षण लागू, स्टाफ भर्ती में मिलेगा लाभ
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए पहली बार अपने स्टाफ की भर्ती में OBC के लिए आरक्षण लागू किया है. अब तक केवल SC और ST वर्ग के लिए ही आरक्षण व्यवस्था थी, लेकिन नए संशोधन के तहत ओबीसी उम्मीदवारों को भी नियुक्तियों में मौका मिलेगा.

Supreme Court OBC Quota: सुप्रीम कोर्ट ने इतिहास रचते हुए अपने स्टाफ की भर्ती में पहली बार अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण लागू कर दिया है. इससे पहले तक केवल अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लिए ही आरक्षण का प्रावधान था. लेकिन अब इस ऐतिहासिक फैसले के तहत ओबीसी उम्मीदवारों को भी नियुक्ति प्रक्रिया में अवसर मिलेगा.
यह फैसला उस समय आया है जब शीर्ष अदालत ने हाल ही में अपने कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए पद-वार आरक्षण रोस्टर तैयार किया था. अब इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए ओबीसी आरक्षण को भी नियमों में शामिल किया गया है.
सेवा नियमों में संशोधन
3 जुलाई को जारी गजट अधिसूचना में कहा गया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने संविधान के अनुच्छेद 146(2) के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट ऑफिसर्स एंड सर्वेंट्स (कंडीशंस ऑफ सर्विस एंड कंडक्ट) रूल्स, 1961 के नियम 4A में संशोधन किया है.
संशोधित नियम 4A में कहा गया है, "शेड्यूल में दर्शाए गए विभिन्न पदों की सीधी भर्ती में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग, दिव्यांगजन, पूर्व सैनिकों और स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों के लिए आरक्षण भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी नियमों, आदेशों और अधिसूचनाओं के अनुसार होगा, बशर्ते कि भारत के मुख्य न्यायाधीश समय-समय पर किसी प्रकार के संशोधन, परिवर्तन या अपवाद को निर्दिष्ट कर सकें.ठ
पहली बार ओबीसी को मिला कानूनी स्थान
हालांकि सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही एससी/एसटी वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान था, लेकिन ओबीसी के लिए किसी प्रकार की स्पष्ट व्यवस्था नहीं थी. यह पहली बार है जब मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई के नेतृत्व में ओबीसी को भी आरक्षण व्यवस्था में शामिल किया गया है.
पद-आधारित आरक्षण की संवैधानिक व्याख्या
सुप्रीम कोर्ट द्वारा तैयार किया गया नया रोस्टर सिस्टम, वर्ष 1995 के सुप्रसिद्ध संविधान पीठ के निर्णय आर के सभरवाल बनाम पंजाब राज्य के अनुसार है. इस निर्णय में स्पष्ट किया गया था कि सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण रिक्तियों (vacancy-based) के बजाय पदों (post-based) के आधार पर होना चाहिए.
इसके साथ ही निर्णय में यह भी कहा गया था कि सीधी भर्ती और पदोन्नति के लिए अलग-अलग रोस्टर बनाए जाने चाहिए. रोस्टर में किसी विशेष वर्ग के लिए चिन्हित किया गया पद, उस पदाधिकारी के सेवानिवृत्त होने के बाद भी उसी वर्ग के लिए आरक्षित रहेगा.
सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम न्यायपालिका में सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व की ओर एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है. इससे पहले न्यायिक सेवाओं और अदालतों के प्रशासनिक पदों में ओबीसी वर्ग की भागीदारी नगण्य रही है. अब नई व्यवस्था से वंचित वर्गों को भी बराबरी का अवसर मिलेगा.