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तमिलनाडु सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत, स्टालिन के नाम पर योजना जारी रखने की मंजूरी

तमिलनाडु की राजनीति में बड़ा मोड़ आया है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नाम का प्रयोग राज्य सरकार की योजनाओं में करने पर पाबंदी लगाई गई थी. शीर्ष अदालत ने इस फैसले को राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित करार देते हुए याचिकाकर्ता, एआईएडीएमके सांसद सी. वे. शन्मुगम पर ₹10 लाख का जुर्माना भी लगाया है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

तमिलनाडु की राजनीति से जुड़ा एक बड़ा फैसला सामने आया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नाम का इस्तेमाल राज्य सरकार की योजनाओं में करने पर रोक लगाई गई थी. शीर्ष अदालत ने इस आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता और एआईएडीएमके सांसद सी. वे. शन्मुगम पर तीखी टिप्पणी की और उनके ऊपर ₹10 लाख का जुर्माना भी लगाया.

कोर्ट ने कहा कि जब देश के अन्य राज्यों में भी इसी तरह की योजनाएं राजनीतिक नेताओं के नाम पर चलाई जा रही हैं, तो केवल तमिलनाडु सरकार और मुख्यमंत्री को निशाना बनाना न्याय संगत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित करार देते हुए इसे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया.

सिर्फ एक नेता को क्यों निशाना बनाया गया- SC

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ कहा कि जब सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के नाम पर योजनाएं चलाई जाती हैं, तो हमें यह उचित नहीं लगता कि याचिकाकर्ता केवल एक राजनीतिक पार्टी और एक नेता को ही चुनें. अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए मद्रास हाईकोर्ट के 31 जुलाई के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें जीवित राजनीतिक व्यक्तियों या पूर्व मुख्यमंत्रियों की तस्वीरों, प्रतीकों या पार्टी झंडों के उपयोग को सरकारी योजनाओं में प्रतिबंधित किया गया था.

हाईकोर्ट ने क्यों लगाई थी रोक?

मद्रास हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि यह अनुमेय नहीं है कि किसी जीवित राजनीतिक व्यक्ति का नाम सरकारी योजना के नामकरण में प्रयोग किया जाए. इसके अलावा, किसी भी सत्तारूढ़ दल का नाम, प्रतीक, चिन्ह या झंडा का उपयोग करना भी सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के निर्देशों के विरुद्ध प्रतीत होता है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस सुंदर मोहन की पीठ ने दिया था.

याचिकाकर्ता पर ₹10 लाख का जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ हाईकोर्ट का आदेश खारिज किया, बल्कि याचिकाकर्ता सांसद सी. वे. शन्मुगम पर ₹10 लाख का जुर्माना भी लगाया. यह राशि तमिलनाडु सरकार के पास जमा की जाएगी, और अदालत ने निर्देश दिया है कि इस राशि का उपयोग गरीबों और वंचितों के लिए चलाई जा रही योजनाओं में किया जाए.

राजनीतिक लड़ाई में अदालतों को न घसीटें

अदालत ने इस मामले को राजनीतिक मकसद से प्रेरित बताया और कहा कि याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग के सामने आवेदन देने के मात्र तीन दिन बाद ही हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. अदालतों को राजनीतिक लड़ाइयों में नहीं घसीटा जाना चाहिए.

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06 August 2025, 02:04 PM IST

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