PM मोदी के भाषण में RSS का जिक्र, कांग्रेस का तंज– 75वें जन्मदिन से पहले खुश करने की हताश कोशिश
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी के 12वें स्वतंत्रता दिवस संबोधन को 'बासा' और आत्म-प्रशंसा का मिश्रण बताते हुए बेरोजगारी, आर्थिक संकट और किसानों के मुद्दों पर ठोस कदम ना उठाने का आरोप लगाया.

RSS in Modi speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से लगातार 12वीं बार देश को संबोधित किया और तिरंगा फहराया. अपने भाषण में उन्होंने कई घोषणाएं कीं और योजनाओं का ऐलान किया, लेकिन विपक्ष ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम के संबोधन को 'बासा' बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री थके हुए नजर आए और जल्द ही रिटायर भी हो सकते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि भाषण में नारे तो पुराने थे, लेकिन कोई ठोस नतीजा या योजना सामने नहीं आई.
जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री का संबोधन आत्म-प्रशंसा और चुनिंदा कहानियों का मिश्रण था, जिसमें देश की असल चुनौतियों– बेरोजगारी, आर्थिक असमानता और आर्थिक संकट का ईमानदार उल्लेख नहीं किया गया. उन्होंने खासतौर पर आरएसएस का नाम लेने पर आपत्ति जताई और इसे स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय अवसर का राजनीतिकरण बताया.
पुराने वादों की पुनरावृत्ति– जयराम रमेश
कांग्रेस नेता ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा- विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसे वही दोहराए गए नारे साल-दर-साल सुने जा रहे हैं, लेकिन इनके कोई ठोस नतीजे नहीं हैं. मेड-इन-इंडिया सेमीकंडक्टर चिप का वादा अनगिनत बार किया गया है, लेकिन आज तक परिणाम शून्य है. उन्होंने दावा किया कि भारत का पहला सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स 1980 के दशक में ही चंडीगढ़ में स्थापित हो चुका था, इसलिए इसे नई उपलब्धि के रूप में पेश करना 'बड़ा झूठ' है.
किसानों के मुद्दों पर ठोस कदम का अभाव
जयराम रमेश ने कहा कि किसानों की रक्षा की बात अब खोखली लगती है, क्योंकि तीन काले कृषि कानून थोपने की कोशिश की गई थी. एमएसपी की कानूनी गारंटी, लागत पर 50% लाभ के साथ एमएसपी तय करने या कर्ज माफी पर कोई ठोस ऐलान नहीं हुआ. उन्होंने रोजगार सृजन के मुद्दे पर भी पीएम पर 'दिखावटी बयान' देने का आरोप लगाया.
संवैधानिक संस्थाओं पर हमले का आरोप
कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एकता और लोकतंत्र की बातें कीं, जबकि वे स्वयं 'चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं के पतन' के जिम्मेदार हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के जरिए लाखों लोगों को वोटर लिस्ट से हटाया जा रहा है और केंद्र, विपक्ष-शासित राज्यों को कमजोर कर संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचा रहा है.
जयराम रमेश के मुताबिक, लाल किले की प्राचीर से आरएसएस का नाम लेना संवैधानिक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का उल्लंघन है. ये उनके 75वें जन्मदिन से पहले संगठन को खुश करने की हताश कोशिश है.उन्होंने कहा कि 4 जून 2024 के बाद से पीएम कमजोर हुए हैं और सितंबर के बाद कार्यकाल विस्तार के लिए मोहन भागवत की कृपा पर निर्भर हैं.


