इतिहास फिर से दोहराएगा पाकिस्तान! 1971 जैसा झेलना होगा विभाजन? हाथ से जाएगा बलूचिस्तान और POK

कहा जाता है कि इतिहास अपने आप को दुहराता है और इसकी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि 1971 जैसी परिस्थितियाँ फिर से बन रही हैं. भारत और पाकिस्तान के बढ़ते तनाव के बीच कहा जा रहा है कि कुछ ऐसा ही होने वाला है. पाकिस्तान ने जो आत्मघाती कदम उठाएं हैं वो भी बहुत कुछ उस दौर के जैसा ही है. आइए समझते है पूरा मामला क्या है?

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक बार फिर से इतिहास के पुराने पन्ने पलटने लगे हैं. क्या पाकिस्तान एक बार फिर टूटने की ओर बढ़ रहा है? क्या पाकिस्तान के खिलाफ भारत एक बार फिर से 1971 जैसे संघर्ष के रास्ते पर चलने वाला है? पाकिस्तान ने जिस तरह की हालिया सैन्य कार्रवाइयाँ की हैं, वे 1971 की परिस्थितियों की याद दिलाती हैं, जब पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी.

गुरुवार रात पाकिस्तान ने भारतीय सीमा के भीतर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान युद्ध के लिए तैयार है. इन घटनाओं से यह सवाल उठने लगा है कि क्या पाकिस्तान फिर से उसी संकट से जूझने जा रहा है, जैसा उसने 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के समय झेला था. आइए, हम इस स्थिति को 1971 के युद्ध की घटनाओं से जोड़कर समझते हैं कि पाकिस्तान के लिए आगे क्या संभावनाएं हो सकती हैं.

क्या हम 1971 की ओर बढ़ रहे हैं?

1971 का युद्ध पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति संग्राम और शरणार्थी संकट के कारण हुआ था. उस समय पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ा था, लेकिन अब परिस्थितियां कुछ अलग हैं. आज दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं, जो युद्ध के जोखिम को कम करते हैं. फिर भी पाकिस्तान की सैन्य रणनीतियों को देखकर ऐसा लगता है कि पाकिस्तान अब भी संघर्ष के लिए तैयार है, चाहे वह किसी भी तरीके से हो.

1971 में, पाकिस्तान ने भारत के हवाई अड्डों पर प्री-एम्प्टिव हवाई हमले किए थे, जिनके बाद युद्ध शुरू हुआ था. गुरुवार को पाकिस्तान ने भी भारत के हवाई अड्डों पर हमले किए, जिसमें उसकी जेट्स और ड्रोन शामिल थे. हालांकि, भारतीय वायुसेना ने इन हमलों को नाकाम किया और कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ. लेकिन इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान की आक्रामकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

पाकिस्तान के तीन टुकड़े होने की संभावना

पाकिस्तान के विभाजन की बात अक्सर राजनीतिक बयानबाजी और अटकलों में उठती रहती है. विशेष रूप से बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में अलगाववादी आंदोलनों के कारण यह सवाल अधिक गंभीर हो गया है. कुछ भाजपा नेता भी यह दावा करते हैं कि पाकिस्तान जल्द ही चार हिस्सों में बंट सकता है. हालांकि, इन दावों के पीछे ठोस प्रमाण नहीं हैं, लेकिन इतिहास की घटनाओं से यह कहा जा सकता है कि कुछ भी असंभव नहीं है.

1971 में पूर्वी पाकिस्तान का बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र होना, भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दृढ़ इच्छाशक्ति का परिणाम था. उसी तरह, आज के नेतृत्व की इच्छाशक्ति से पाकिस्तान को कमजोर किया जा सकता है. अगर भारत ने अपनी रणनीति सही तरीके से लागू की, तो पाकिस्तान का भविष्य भी 1971 जैसे ही हो सकता है.

कौन होगा आसान निशाना, बलूचिस्तान या पीओके?

पाकिस्तान में बलूचिस्तान और पीओके दो ऐसे क्षेत्र हैं, जो अलगाववादी आंदोलनों के कारण चर्चा में हैं. बलूचिस्तान में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे बलूच राष्ट्रवादी पाकिस्तान सेना के खिलाफ युद्ध छेड़े हुए हैं. बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन यहां की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति बहुत खराब है. बलूचिस्तान में पाकिस्तान सरकार की पकड़ बहुत कमजोर हो गई है और सेना को वहां लगातार नुकसान हो रहा है.

पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) भारत के लिए एक बहुत अहम मुद्दा है. 1994 में भारतीय संसद ने इसे भारत का अभिन्न हिस्सा घोषित किया था. हाल के वर्षों में, पीओके में पाकिस्तान सरकार की नीतियों के खिलाफ असंतोष बढ़ा है, और स्थानीय लोग पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. भारत के लिए यहां किसी भी कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय मंच पर वैध ठहराना आसान हो सकता है.

बलूचिस्तान में असंतोष और भारत के लिए अवसर

बलूचिस्तान में संसाधनों की लूट, जैसे ग्वादर पोर्ट और प्राकृतिक गैस के कारण स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ा है. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) जैसे समूह पाकिस्तान सरकार के खिलाफ सक्रिय हैं. पाकिस्तान की सेना अब बलूचिस्तान में अपनी पकड़ खो चुकी है और वहां की स्थिति भारत के लिए अनुकूल हो सकती है. अगर भारत सही रणनीति अपनाता है तो बलूचिस्तान में होने वाले संघर्षों का फायदा उठाकर पाकिस्तान पर दबाव डाला जा सकता है. वहीं, पीओके में भी असंतोष बढ़ रहा है और भारत इस क्षेत्र को लेकर और ज्यादा सक्रिय हो सकता है.

पाकिस्तान की आक्रामकता और अपनी आंतरिक समस्याओं को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि पाकिस्तान फिर से एक संकट का सामना कर सकता है. जैसे 1971 में भारत ने पूर्वी पाकिस्तान में हस्तक्षेप किया था, वैसे ही अब भारत के पास अवसर हो सकता है. चाहे वह बलूचिस्तान हो या पीओके, भारत के पास इस समय प्रभावी रणनीति बनाने की पूरी क्षमता है.

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09 May 2025, 01:30 PM IST

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