शांति की पहल पर पानी फेरता अमेरिका? रूस-यूक्रेन वार्ता से पहले ट्रंप ने भेजे मिसाइल
रूस ने यूक्रेन संग शांति वार्ता की पेशकश की, लेकिन ट्रंप द्वारा हथियारों की नई खेप मंजूर होने से जंग थमने की उम्मीदों को गहरा झटका लगा है. संघर्ष के शांत होने से पहले ही हालात फिर गरमा गए हैं.

रूस-यूक्रेन युद्ध के खत्म होने की उम्मीद एक बार फिर से जगी है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ सीधे शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया है. जिससे संघर्ष के थमने की संभावनाएं बनती दिख रही थीं. लेकिन इसी बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले ने इस संभावित शांति प्रक्रिया को गहरा झटका दिया है. जहां एक ओर उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर में भूमिका निभाई, वहीं दूसरी ओर रूस-यूक्रेन विवाद में उन्होंने हथियारों की नई खेप की मंजूरी देकर एक बार फिर हालात को और जटिल बना दिया है.
अमेरिका ने फिर भेजे घातक हथियार
एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने जर्मनी में रखे भंडार से यूक्रेन को 100 पैट्रियट एयर डिफेंस मिसाइलें और 125 लंबी दूरी की आर्टिलरी रॉकेट्स देने को मंजूरी दे दी है. ये फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब रूस ने यूक्रेन से बिना अमेरिकी दखल के तुर्की की राजधानी अंकारा में सीधी वार्ता की इच्छा जताई है. लेकिन अमेरिका की ये नई सैन्य सहायता वार्ता में रोड़ा बन सकती है.
जेलेंस्की की लंबी मांग अब हुई पूरी
यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की काफी समय से अमेरिका से पैट्रियट सिस्टम और लंबी दूरी की मिसाइलों की मांग कर रहे थे. उन्होंने हाल ही में कहा था कि कीव अमेरिकी हथियारों पर 30-50 बिलियन डॉलर तक खर्च करने या उनके उत्पादन का लाइसेंस लेने के लिए भी तैयार है. उन्होंने अपनी कैबिनेट को जल्द से जल्द इस डील को अंतिम रूप देने के निर्देश भी दिए थे.
ट्रंप के रुख में आया बदलाव
ट्रंप ने अब तक यूक्रेन को कोई नई सैन्य सहायता नहीं दी थी. यहां तक कि बाइडेन प्रशासन द्वारा पहले भेजे गए हथियार भी लगभग समाप्त हो चुके थे. ऐसे में यूक्रेन को यूरोपीय सहयोगियों से मदद मांगनी पड़ी. लेकिन अब जब रूस ने शांति वार्ता की पेशकश की है, ट्रंप सरकार ने भारी हथियारों की सप्लाई का एलान कर एक बार फिर हालात को गर्म कर दिया है.
पैट्रियट मिसाइल सिस्टम की एक यूनिट की लागत 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा है और इसे ऑपरेट करने के लिए करीब 90 लोगों की जरूरत होती है. यानी केवल हथियार देना ही काफी नहीं, इनकी तैनाती और संचालन के लिए भी विशेष ट्रेनिंग और ढांचागत तैयारियां जरूरी होंगी.


