रातभर चली सत्ता से हटाने की चाल, सुबह बन गया पाकिस्तान का सबसे ताकतवर शख्स, आखिर कैसे चमका आसिम मुनीर का सितारा?

पाकिस्तान में सत्ता का बड़ा खेल उस वक्त देखने को मिला जब रातभर जनरल आसिम मुनीर को आर्मी चीफ की कुर्सी से हटाने की चर्चाएं तेज थी, लेकिन सुबह होते-होते हालात पूरी तरह पलट गए. पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अपने पुराने निर्णय को पलट दिया और सेना को आम नागरिकों पर मिलिट्री कोर्ट में मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी. इस फैसले ने जनरल आसिम मुनीर को बेलगाम अधिकार दे दिए.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

भारत के साथ बढ़ते सैन्य तनाव के बीच पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसने पूरे देश में लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों को लेकर चिंता बढ़ा दी है. अदालत ने 7 मई को अपने पुराने निर्णय को पलटते हुए अब मिलिट्री कोर्ट्स में आम नागरिकों पर मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी है और वह भी मौत की सजा तक की संभावना के साथ. इस फैसले से सबसे ज्यादा ताकत मिली है पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को, जो पहले ही देश की राजनीतिक सत्ता से ऊपर माने जाते हैं.

यह फैसला ऐसे वक्त पर आया है जब पाकिस्तान भारत के साथ युद्ध जैसे हालात का सामना कर रहा है, और देश में सेना के खिलाफ कोई बोल भी नहीं सकता. अब जनरल आसिम मुनीर के पास यह अधिकार होगा कि वे जिसे चाहें, 'राष्ट्रविरोधी' घोषित कर मिलिट्री कोर्ट में मुकदमा चला सकें. यह विपक्ष और आम नागरिकों दोनों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुका है.

सुप्रीम कोर्ट का यू-टर्न 

7 मई को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने एक हैरान करने वाला फैसला सुनाया. अदालत ने अक्टूबर 2023 में दिए गए अपने ही निर्णय को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि "सिविलियन्स पर मिलिट्री कोर्ट में ट्रायल चलाना असंवैधानिक है." अब इस फैसले को रद्द कर अदालत ने कहा कि नागरिकों पर भी फौजी अदालतों में मुकदमा चलाया जा सकता है. इस फैसले के बाद, जनरल आसिम मुनीर की ताकत में जबरदस्त इजाफा हो गया है.

इमरान समर्थकों के खिलाफ चलेगा मिलिट्री कोर्ट का हथौड़ा

यह फैसला खासतौर पर 9 मई 2023 को इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद भड़के हिंसक प्रदर्शनों के संदर्भ में आया है. अब उन मामलों में पकड़े गए करीब 1000 इमरान समर्थकों पर मिलिट्री कोर्ट में मुकदमा चलाया जा सकता है. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) का आरोप है कि सैकड़ों समर्थकों को बिना किसी सबूत के जेल में डाला गया है.

जानबूझकर चुना गया 'युद्धकाल' का समय?

विशेषज्ञ मानते हैं कि अदालत से यह फैसला ऐसे समय में दिलवाया गया है जब देश युद्ध जैसे हालात से गुजर रहा है. इस समय सेना के खिलाफ कोई बयान देना ‘देशद्रोह’ समझा जाता है. ऐसे माहौल में सुप्रीम कोर्ट का यह कदम न सिर्फ विपक्ष को बल्कि आम जनता को भी भयभीत करने की एक सोची-समझी रणनीति प्रतीत होता है.

पाकिस्तान में बढ़ती सैन्य सत्ता

जनरल आसिम मुनीर पहले से ही पाकिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व से ज्यादा ताकतवर माने जाते हैं. इस नए फैसले के बाद उनकी ताकत लगभग बेलगाम हो चुकी है. अब उन्हें किसी भी नागरिक को देशद्रोही बताकर फौजी अदालत में घसीटने का अधिकार मिल चुका है जहां सुनवाई और फैसले की पारदर्शिता लगभग नगण्य होती है.

विपक्ष की आवाज को कुचलने की साजिश?

विश्लेषकों का कहना है कि यह फैसला सिर्फ इमरान खान और उनके समर्थकों तक सीमित नहीं रहेगा. अब किसी भी असहमति या विरोध को 'राष्ट्र विरोधी गतिविधि' बताकर सीधे मिलिट्री कोर्ट में घसीटा जा सकता है. इससे लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा आघात हुआ है.

9 मई हिंसा के बाद बदला पूरा करने की तैयारी

गौरतलब है कि 9 मई 2023 को इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद देशभर में उग्र प्रदर्शन हुए थे, जिनमें सेना की कई इमारतों और प्रतिष्ठानों पर हमले हुए थे. इसी के बाद सेना ने बदले की कार्रवाई शुरू की और अब मिलिट्री कोर्ट्स के जरिए उन सभी प्रदर्शनकारियों को कठोर सजा देने की तैयारी है.

पाकिस्तान के नागरिकों में डर का माहौल

इस फैसले से पाकिस्तान में आम लोगों के बीच डर का माहौल बन गया है. अब कोई यह नहीं जानता कि किस बात पर उसे देशद्रोही बताकर मिलिट्री कोर्ट में पेश कर दिया जाएगा. मानवाधिकार संगठनों ने इस पर चिंता जताई है और इसे “तानाशाही के युग की शुरुआत” बताया है.

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09 May 2025, 12:45 PM IST

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