बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति नाजुक, IMF से कर्ज की अगली किस्तों पर संकट
आईएमएफ ने बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर अपना विस्तृत आकलन प्रस्तुत करते हुए देश की मौजूदा वित्तीय चुनौतियों को रेखांकित किया है. संगठन ने खासतौर पर कम टैक्स-टू-जीडीपी रेशियो का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया कि बांग्लादेश को व्यापक कर सुधारों की सख्त जरूरत है.

बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था लगातार दबाव में है और अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं से सहायता प्राप्त करना अब एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 4.7 बिलियन डॉलर के राहत पैकेज की अगली दो किस्तें चौथी और पांचवीं प्राप्त करने के लिए देश को चार प्रमुख शर्तों को पूरा करना था, लेकिन बांग्लादेश इन मोर्चों पर पिछड़ रहा है.
बांग्लादेश में कमजोर राजस्व वृद्धि
IMF की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में कमजोर राजस्व वृद्धि, अस्थिर विनिमय दर, सब्सिडियों में अपेक्षित कटौती की कमी और बैंकिंग क्षेत्र में सुधार की धीमी रफ्तार जैसे मुद्दे सामने आए हैं. यही वजह है कि कर्ज की अगली किश्तें समय पर मिलना मुश्किल लग रहा है. बांग्लादेश दौरे पर आए IMF प्रतिनिधिमंडल ने दो सप्ताह की समीक्षा के बाद ढाका में आयोजित ब्रीफिंग में कहा कि यदि इन क्षेत्रों में तेजी से सुधार हुआ, तो जून के अंत तक धनराशि जारी की जा सकती है. प्रतिनिधिमंडल की अगुआई कर रहे क्रिस पापागेओर्गियो ने स्पष्ट किया कि IMF अभी भी सरकार के साथ बातचीत कर रहा है और अंतिम निर्णय आगे की प्रगति पर आधारित होगा.
देश का कर-से-जीडीपी अनुपात काफी कम
IMF ने बांग्लादेश को कर सुधारों की सख्त जरूरत पर भी जोर दिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश का कर-से-जीडीपी अनुपात काफी कम है और इसे बढ़ाने के लिए कर नीति में पारदर्शिता, कर छूटों में कटौती और प्रशासनिक सुधार जरूरी हैं. साथ ही बैंकिंग सिस्टम की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए भी कानूनी और प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता है.
IMF ने भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण को रोकने के लिए बांग्लादेश बैंक की स्वतंत्रता बढ़ाने और निगरानी तंत्र को मजबूत करने की सिफारिश की है. इन उपायों के बिना, अंतरराष्ट्रीय मदद हासिल करना बांग्लादेश के लिए और अधिक कठिन हो सकता है.


