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कौन हैं श्रीराम कृष्णन जिनके लिए एलन मस्क ने लिया ट्रंप समर्थकों से पंगा? जानिए क्या है विवाद की वजह

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले ही उनके समर्थक आपस में बंटते नजर आ रहे हैं. इस बार विवाद की वजह बने हैं भारतीय मूल के श्रीराम कृष्णन, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़े मामलों में वरिष्ठ सलाहकार नियुक्त किया है. इस विवाद में एलन मस्क भी शामिल हो गए हैं तो चलिए पूरा मामला क्या है जानते हैं.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद संभालने से पहले ही उनके समर्थक आव्रजन के मुद्दे पर दो धड़ों में बंट गए हैं. विवाद की वजह भारतवंशी श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति बनी है . दरअसल, ट्रंप प्रशासन में कृष्णन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मामलों का सलाहकार बनाया गया है लेकिन कट्टरपंथी ट्रंप समर्थकों ने इसे वैध आव्रजन नीतियों के खिलाफ बताया है. ट्रंप के अतिवादी समर्थकों ने इस नियुक्ति को लेकर नाराजगी जाहिर की है.रिपब्लिकन नेता निक्की हेली और मैट गेट्ज ने अप्रत्यक्ष रूप से उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं. हालांकि,  वहीं एलन मस्क और विवेक रामास्वामी जैसे उद्योगपति कृष्णन के समर्थन में आए हैं. मस्क का कहना है कि वैध आव्रजन को अमेरिकी विकास के लिए जरूरी है.

श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति पर विवाद तब शुरू हुआ जब ट्रंप समर्थक लॉरा लूमर ने अपनी आपत्ति जताई. लूमर, जो आव्रजन की कट्टर विरोधी मानी जाती हैं. उन्होंने कृष्णन की नियुक्ति को गलत ठहराया. उनकी नाराजगी का कारण था कृष्णन का समर्थन, जिसमें उन्होंने कुशल विदेशी कामगारों को वर्क वीजा और ग्रीन कार्ड देने की वकालत की थी. लूमर का दावा है कि यह ट्रंप की आव्रजन नीतियों के खिलाफ है, जो हमेशा अवैध आव्रजन के विरोध पर केंद्रित रही हैं. उनका मानना है कि यह नियुक्ति ट्रंप के राजनीतिक एजेंडे से मेल नहीं खाती.

ट्रंप के समर्थक से क्यों भिड़े एलन मस्क

दरअसल, एलन मस्क ने राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप का खुलकर समर्थन किया, खासतौर पर अवैध आव्रजन के खिलाफ उनकी नीतियों का. हालांकि, मस्क हमेशा से वैध आव्रजन और उच्च-कौशल वाले कामगारों के अमेरिका आने के पक्ष में रहे हैं. खुद दक्षिण अफ्रीका में जन्मे मस्क युवा अवस्था में अमेरिकी आव्रजन नीति के तहत अमेरिका आए थे. उन्होंने कई बार अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि कैसे कुशल लोगों का देश में आना अमेरिकी अर्थव्यवस्था और वैश्विक ताकत को मजबूत करता है. उनके मुताबिक, यह अमेरिका की प्रगति के लिए बेहद जरूरी है. ट्रंप के समर्थकों से वो तब भिड़े जब लॉरा लूमर का श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति पर बयान सामने आया. इसके बाद मस्क ने एक्स पर कई पोस्ट किए और भारतवंशी के पक्ष में अपनी बात रखी.

कौन हैं श्रीराम कृष्णन जिनके लिए ट्रंप के समर्थक से भिड़े मस्क

श्रीराम कृष्णन एक भारतीय मूल के आंत्रप्रेन्योर हैं, जिन्होंने माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक, ट्विटर और स्नैप जैसी बड़ी कंपनियों के लिए काम किया है. वे अमेरिका में उच्च कौशल वाले पेशेवरों को समर्थन देने के पक्षधर हैं और एच-1बी वीजा जैसे कार्यक्रमों के तहत भारत सहित अन्य देशों के प्रतिभाशाली कामगारों के अमेरिका आने की वकालत करते हैं. कृष्णन भारत में जन्मे और पढ़ाई पूरी की. उन्होंने भारत में माइक्रोसॉफ्ट के लिए काम करते हुए अपने करियर की शुरुआत की. 2007 में माइक्रोसॉफ्ट ने उन्हें एल-1 वीजा के तहत अमेरिका भेजा, जो कंपनी के आंतरिक स्थानांतरण के लिए इस्तेमाल होता है. श्रीराम ने अमेरिका के सिएटल में छह साल बिताए और माइक्रोसॉफ्ट के एज्यूर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम से जुड़े रहे. इसके बाद उन्होंने सिलिकॉन वैली का रुख किया, जहां उन्होंने स्नैप, फेसबुक, याहू और ट्विटर जैसी बड़ी टेक कंपनियों के साथ काम किया.

एच-1बी वीजा के वजह से बढ़ा विवाद

दरअसल, ये विवाद एच-1बी वीजा की वजह से शुरू हुआ. यह वीजा अमेरिकी कंपनियों को उच्च कौशल वाले विदेशी कामगारों को नौकरी देने की अनुमति देता है.यह वीजा खासतौर पर आईटी, इंजीनियरिंग और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों के पेशेवरों के लिए होता है. भारतीयों को इस वीजा का सबसे ज्यादा लाभ मिलता है. इसकी वैधता 6 साल की होती है, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है.  इस मामले में  एलन मस्क का कहना है कि अमेरिका को वैश्विक प्रतिभा की जरूरत है और योग्य लोगों को यहां आकर योगदान देने का मौका मिलना चाहिए. उन्होंने अमेरिका को "अवसरों का देश" बताया और कहा कि उच्च कौशल वाले अप्रवासी अमेरिका की सफलता के लिए बेहद जरूरी हैं.

रिपब्लिकन पार्टी में मतभेद

यह विवाद सिर्फ आव्रजन नीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह रिपब्लिकन पार्टी में मतभेद को भी उजागर करता है. श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति के जरिए ट्रंप प्रशासन ने दिखाया है कि वह उच्च कौशल वाले विदेशी कामगारों को महत्व देना चाहता है. यह विवाद न सिर्फ ट्रंप समर्थकों के बीच मतभेद दिखाता है, बल्कि यह भी बताता है कि अमेरिका में आव्रजन नीति अब भी एक संवेदनशील मुद्दा है. श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति और मस्क का समर्थन अमेरिकी राजनीति में एक नया मोड़ ला सकते हैं.

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28 December 2024, 08:24 PM IST

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