डोनाल्ड ट्रंप के हाथ से फिसला नोबेल का शांति पुरस्कार...रूसी राष्ट्रपति बोले- ट्रंप ने शांति के लिए बहुत कुछ किया, लेकन...
Vladimir Putin on Trump Nobel : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलने पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि ट्रंप ने शांति के लिए कई प्रयास किए हैं, लेकिन चयन नोबेल समिति का काम है. जबकि वेनेजुएला की नेता मारिया कोरिना मचाडो को यह पुरस्कार तानाशाही के खिलाफ लोकतांत्रिक संघर्ष के लिए मिला. ट्रंप समर्थकों ने समिति पर राजनीति को शांति से ऊपर रखने का आरोप लगाया है.

Vladimir Putin on Trump Nobel : 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया, खासकर तब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद को इस पुरस्कार का सबसे उपयुक्त दावेदार मान रहे थे. लेकिन इस बार नोबेल शांति पुरस्कार वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया, जिन्होंने अपने देश में तानाशाही के खिलाफ लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई लड़ी है. मारिया को यह सम्मान उस समय मिला है, जब वेनेजुएला में राजनीतिक अस्थिरता और दमन चरम पर है.
आपको बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ट्रंप ने शांति की दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं, लेकिन यह तय करना कि उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए या नहीं, यह निर्णय नोबेल कमेटी का है. पुतिन ने ट्रंप की गाजा संघर्ष में मध्यस्थता और युद्धविराम प्रयासों का हवाला देते हुए उनकी सराहना की और कहा कि यदि ये प्रयास सफल होते, तो यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि होती. उन्होंने यह भी दोहराया कि ट्रंप की नीतियां कई मौकों पर शांति के लिए कारगर रही हैं.
नोबेल कमेटी पर राजनीतिक पक्षपात का आरोप
मारिया ने लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष किया
मारिया कोरिना मचाडो एक औद्योगिक इंजीनियर हैं और वेनेज़ुएला की एक प्रखर विपक्षी नेता के रूप में जानी जाती हैं. उन्होंने लगातार अपने देश में लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष किया है. 2024 में वे राष्ट्रपति चुनाव में निकोलस मादुरो को चुनौती देना चाहती थीं, लेकिन वेनेजुएला की अदालतों ने उन्हें चुनाव लड़ने से रोक दिया. इसके बावजूद उन्होंने अपना आंदोलन जारी रखा और जनता के बीच समर्थन मजबूत किया. नोबेल कमेटी ने उनके संघर्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए समर्पण को देखते हुए उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान देने का निर्णय लिया.
ट्रंप को मिला था कई देशों का समर्थन
ट्रंप की उम्मीदवारी को समर्थन देने वाले देशों में रूस, पाकिस्तान, इज़रायल और यहां तक कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की तक शामिल थे. जेलेंस्की ने एक साक्षात्कार में कहा था कि अगर ट्रंप यूक्रेन-रूस युद्ध में शांति स्थापित करने में सफल होते हैं, तो वे स्वयं ट्रंप को नोबेल के लिए नामांकित करेंगे. रूस ने तो पुरस्कार की घोषणा से ठीक पहले ट्रंप की उम्मीदवारी को समर्थन देने का आधिकारिक बयान भी जारी किया था. इसके बावजूद, जब पुरस्कार की घोषणा हुई, तो ट्रंप को दरकिनार कर मारिया मचाडो का नाम सामने आया.
एक पुरानी बहस फिर से तेज
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर से यह बहस तेज कर दी है कि क्या नोबेल शांति पुरस्कार केवल शांति के प्रयासों पर दिया जाना चाहिए या उसमें राजनीतिक विचारधारा और वैश्विक धारणाएं भी प्रभाव डालती हैं. ट्रंप की नीतियों को लेकर मतभेद भले हों, लेकिन यह निर्विवादहै कि उन्होंने कई बार युद्धविराम और राजनयिक पहल की कोशिशें की हैं. बावजूद इसके, नोबेल समिति ने मारिया कोरिना मचाडो के शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक संघर्ष को अधिक प्राथमिकता दी.


