कनाडा : 800,000 हिंदुओं को निकालने की धमकी: टोरंटो में खालिस्तानी नफरत का मंजर
कनाडा के टोरंटो में हिंदुओं के खिलाफ एक परेड निकली जिसमें 800,000 लोगों को भारत भेजने की मांग की गई. इसके पीछे खालिस्तानी एजेंडा होने का आरोप है. अब सवाल ये उठ रहा है कि नए PM मार्क कार्नी क्या कुछ बदलेंगे या सब पहले जैसा ही रहेगा? अब असली कहानी जाननी है तो पूरी खबर जरूर पढ़िए, बात सिर्फ एक परेड की नहीं है... मसला बहुत गहरा है!

Anti-Hindu Parade In Toronto: कनाडा का नाम जब भी आता है तो अक्सर शांति, बहुसंस्कृति और लोकतांत्रिक मूल्यों की चर्चा होती है. लेकिन अब टोरंटो की गलियों से जो तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं वो इस छवि पर सवाल खड़े कर रहे हैं. हाल ही में टोरंटो के माल्टन गुरुद्वारे से निकली एक परेड ने कनाडा में रह रहे हिंदू समुदाय को चिंता में डाल दिया है.
माल्टनगुरुद्वारे में हिंदू विरोधी परेड, निर्वासन की मांग
टोरंटो के मशहूर माल्टन गुरुद्वारे से एक वीडियो सामने आया है जिसमें खुलेआम हिंदुओं के खिलाफ नारे लगाए गए और 800,000 हिंदुओं को भारत वापस भेजने की मांग की गई. इस वीडियो को कनाडाई पत्रकार डेनियल बोर्डमैन ने सोशल मीडिया पर शेयर किया और गंभीर सवाल खड़े किए कि क्या कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, खालिस्तानी गतिविधियों को ट्रूडो की तरह नज़रअंदाज़ करेंगे या फिर सख्त कदम उठाएंगे.
कनाडा में 'खालिस्तानी गुंडों' ने भारतीय प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और गृह मंत्री के पुतले के साथ 'हिंदू विरोधी' परेड का आयोजन किया
— Apurva Singh (@iSinghApurva) May 5, 2025
कनाडा से हिंदुओं को वापस भेजने के लिए कहा
कनाडा में सरकार बदल गई है
अब देखना होगा नए 'प्रधानमंत्री' कुछ करते है या नहीं। pic.twitter.com/wjAug3ifD5
पत्रकार ने पूछा- क्या बदलेंगे नए PM कार्नी के तेवर?
बोर्डमैन ने कहा कि खालिस्तानी और जिहादी दोनों ही अब कनाडा के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि ये समूह न सिर्फ यहूदियों को धमका रहे हैं, बल्कि अब हिंदुओं को भी खुलेआम टारगेट कर रहे हैं.
मंदिरों को भी नहीं बख्शा गया: तीसरी बार लक्ष्मी नारायण मंदिर में तोड़फोड़
इससे पहले अप्रैल में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में तीसरी बार तोड़फोड़ की गई. बोर्डमैन ने बताया कि मंदिर की दीवारों पर खालिस्तान समर्थक भित्तिचित्र बनाए गए और सीसीटीवी कैमरे भी चोरी कर लिए गए. मंदिर प्रबंधन द्वारा पुलिस के आने से पहले भित्तिचित्र हटाना और सफाई करना भी शक के घेरे में है.
क्यों हो रही है चुप्पी?
इस पूरे मामले पर अभी तक कनाडाई सरकार की ओर से कोई ठोस बयान नहीं आया है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षा देना अब सरकार की प्राथमिकता नहीं रही? कनाडा में रह रहे हिंदुओं के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है—क्या वे वहां सुरक्षित हैं? क्या सरकार इस नफरत भरे एजेंडे के खिलाफ कुछ कदम उठाएगी या फिर सब कुछ 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के नाम पर टाल दिया जाएगा?


