जॉर्जिया बॉर्डर पर भारतीयों की बेइज्ज़ती: 56 लोग ठिठुरते रहे भूखे-प्यासे
जार्जिया बार्डर पर 56 भारतीयों यात्रियों के साथ आमानवीय व्यवहार किया गया। घंटों भूखे-प्यासे ठंट में बैठाया गया, पासपोर्ट छीन लिए गए और किसी जानवर की तरह फुटपाथ पर रखा गया।

International News: जॉर्जिया बॉर्डर से हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां 56 भारतीय यात्रियों को घंटों तक बिना खाना-पानी के रोक दिया गया। अधिकारियों ने उनके पासपोर्ट भी जब्त कर लिए। आरोप है कि उन्हें इंसानों की तरह नहीं बल्कि जानवरों की तरह फुटपाथ पर बैठा दिया गया। यात्रियों में महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल थे। ठंड में कांपते लोग घंटों मदद का इंतजार करते रहे। एक महिला यात्री ने दावा किया कि सभी के पास वैध वीजा और दस्तावेज थे। इसके बावजूद अधिकारियों ने उन्हें सीमा पार करने नहीं दिया। यात्रियों का कहना है कि बिना किसी कारण समझाए उनसे पासपोर्ट छीन लिए गए। लगातार सवाल पूछने पर भी उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला। महिला ने कहा कि यह अपमान भूल पाना मुश्किल है। भारतीय नागरिक खुद को असहाय महसूस कर रहे थे।
घंटों तक भूखे-प्यासे यात्री
यात्रियों को खाने-पीने की कोई सुविधा नहीं दी गई। न तो पानी दिया गया और न ही उन्हें गर्म जगह पर बैठने दिया गया। ठंड में कई लोग कांपने लगे, लेकिन वहां मौजूद अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। बच्चों और बुजुर्गों की हालत देखकर हालात और गंभीर हो गए। परिवारों ने बताया कि उन्होंने खुद को कैदियों जैसा महसूस किया। यह घटना मानवाधिकारों पर सवाल खड़े करती है।
सरकार से कड़ा कदम मांग
पीड़ित महिला ने भारत सरकार से अपील की है कि इस मामले पर तुरंत कार्रवाई हो। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय को जॉर्जिया सरकार से जवाब मांगना चाहिए। यात्रियों का कहना है कि भारतीयों के साथ इस तरह का व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने मांग की है कि भारत कड़ा रुख दिखाए ताकि भविष्य में ऐसा किसी और नागरिक के साथ न हो।
विदेश मंत्रालय पर बढ़ा दबाव
जैसे ही घटना सामने आई, भारत में चर्चा तेज हो गई। लोगों ने सोशल मीडिया पर सरकार से सवाल पूछे। विदेश मंत्रालय से उम्मीद की जा रही है कि वह तुरंत जवाब देगा। संसद में भी इस मुद्दे को उठाने की तैयारी है। यह मामला केवल 56 लोगों का नहीं बल्कि भारत की प्रतिष्ठा से जुड़ा है। दबाव बढ़ने पर सरकार को कड़ी प्रतिक्रिया देनी पड़ सकती है।
इंसानियत पर लगा सवाल
यह घटना बताती है कि विदेश यात्राओं में भारतीयों को कितनी मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं। यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं दी गईं। किसी भी सभ्य देश में इस तरह का व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सवाल उठता है कि जब वैध दस्तावेज़ों के बावजूद ऐसा हाल है तो व्यवस्था पर कैसे भरोसा किया जाए। यह सिर्फ भारतीयों का नहीं बल्कि इंसानियत का भी अपमान है।
भविष्य में सुरक्षा की मांग
पीड़ितों का कहना है कि भारतीय यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। भारत सरकार को ऐसे मामलों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवाज़ उठानी होगी। जॉर्जिया जैसे देशों को चेतावनी देनी होगी कि इस तरह का व्यवहार दोहराया नहीं जाए। यात्रियों ने कहा कि अब वे चाहते हैं कि सरकार उन्हें न्याय दिलाए। यह घटना विदेश यात्राओं को लेकर डर पैदा कर रही है।


