ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के साथ खड़ा पाकिस्तान! अब ट्रंप के सामने क्या सफाई देंगे जनरल मुनीर?
ईरान के राष्ट्रपति की पाकिस्तान यात्रा के दौरान पीएम शहबाज शरीफ ने ईरान के परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग का समर्थन कर अमेरिका-इजरायल को चौंका दिया. यह बयान ऐसे समय आया है जब ईरान के परमाणु ठिकानों पर हाल ही में भीषण हमले हुए हैं, जिससे वैश्विक शक्ति संतुलन प्रभावित हो सकता है.

ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के पाकिस्तान दौरे के दौरान एक ऐसा बयान सामने आया है जिसने पश्चिमी देशों और खासकर अमेरिका-इजरायल को चौंका दिया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने साफ-साफ कहा है कि उनका देश ईरान के परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के सपने का समर्थन करता है. ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब अमेरिका और इजरायल ने हाल ही में ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर भीषण हमले किए हैं.
गौरतलब है कि जून 2025 में अमेरिका ने बी-2 बॉम्बर्स से ईरान के नतांज, फोर्डो और इस्फहान जैसे संवेदनशील परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया था. इजरायल भी लगातार ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर रहा है. ऐसे में पाकिस्तान की ये टिप्पणी वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव ला सकती है. शहबाज शरीफ की इस घोषणा को ना केवल ईरान के साथ एकजुटता के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि अमेरिका और इजरायल के लिए एक चुनौतीपूर्ण संकेत भी माना जा रहा है.
राष्ट्रपति पेजेशकियन का गर्मजोशी से स्वागत
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन जब पाकिस्तान पहुंचे तो प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और डिप्टी पीएम इशाक डार खुद उन्हें रिसीव करने एयरपोर्ट पहुंचे. ये दौरा दोनों देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूती देने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
द्विपक्षीय व्यापार को तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य
पाकिस्तान और ईरान ने मौजूदा 3 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को 10 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है. इस दिशा में दोनों देशों ने 12 समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए. ये आर्थिक साझेदारी दोनों देशों के लिए नए द्वार खोल सकती है.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम का खुला समर्थन
इस दौरे की सबसे बड़ी घोषणा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की वो टिप्पणी रही जिसमें उन्होंने कहा कि पाकिस्तान शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा प्राप्ति के ईरान के उद्देश्यों के साथ खड़ा है. शहबाज शरीफ ने हाल ही में ईरान पर हुए इजरायली हमलों की कड़ी निंदा की और ईरान की आत्मरक्षा की सराहना की.
अमेरिका-इजरायल का ऐतिहासिक विरोध
अमेरिका और इजरायल सालों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम के कट्टर विरोधी रहे हैं. 2015 में अमेरिका ने JCPOA समझौते के तहत ईरान की गतिविधियों को सीमित किया था, जिसे 2018 में ट्रंप प्रशासन ने रद्द कर सख्त प्रतिबंध लगा दिए. इजरायल तो ईरान को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है.
पाकिस्तान की दोहरी नीति या रणनीतिक चाल?
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में पाकिस्तान को 19% टैरिफ की रियायत दी है और वहां तेल निकालने की बात भी कही है. लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान द्वारा ईरान को समर्थन देना एक डबल गेम की तरह देखा जा रहा है. इससे अमेरिका के साथ पाकिस्तान के रिश्तों पर सवाल खड़े हो सकते हैं.
क्या पाकिस्तान ईरान के साथ युद्ध में जाएगा?
ईरान-इजरायल युद्ध के दौरान एक पूर्व ईरानी जनरल ने ये दावा किया था कि पाकिस्तान ने आश्वासन दिया है कि अगर इजरायल ईरान पर परमाणु हमला करता है, तो पाकिस्तान भी इजरायल पर हमला करेगा. हालांकि, पाकिस्तान ने इसकी पुष्टि नहीं की. फिर भी यह बयान पाकिस्तान की छवि को वैश्विक मंच पर प्रभावित कर सकता है.


