बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों पर सदगुरु का बयान, बोले- घृणित हिंसा को तुरंत रोकने की जरूरत
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को हिंसा का सामना करना पड़ रहा है. हिंदुओ पर इस कदर अत्याचार होते देख इंटरनेशनल लेवल पर इस रोकने की मांग हो रही है. इस बीच आध्यातमिक गुरु सद्गुरु ने बांग्लादेशी हिंदुओं की हालत पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा इस घृणित हिंसा को तुरंत रोकने की जरूरत है.

आरक्षण को लेकर शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अब अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है. तख्तापलट के बाद भी यहां के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. अब बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार होना शुरू हो गया है. हिंसा इस कदर बढ़ गया है कि थमने का नाम नहीं ले रहा है. बांग्लादेश की हालत पर सभी देश चिंता जता रहे हैं और इसे रोकने की अपील कर रहे हैं.
इस बीच अब आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु ने बांग्लादेश में हिंदुओं की हालत पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि हाल के समय में जो बॉर्डर खींची गई है वो निरपेक्ष नहीं हैं. सदगुरु ने भी पड़ोसी देश में हो रहे हिंसा को घृणित बताया है और तुरंत रोकने की भी बात कही है.
बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों पर सदगुरु की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश की हालत पर सदगुरु ने ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर किया है. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है, बांग्लादेश में घृणित अत्याचारों पर तत्काल रोक सर्वोपरि है, लेकिन इन अत्याचारों का यथासंभव विस्तार से दस्तावेजीकरण करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. हाल के दिनों में जो राष्ट्रीय सीमाएं खींची गई हैं, वे पूर्ण नहीं हैं. सांस्कृतिक संबंध और सभ्यतागत जुड़ाव कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. भारत को केवल सीमा तर्क से नहीं बल्कि 75 वर्ष से अधिक पुरानी सभ्यता की व्यापक वास्तविकताओं से बंधा होना चाहिए.
बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति
आपको बता दें कि, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक है यानी केवल 8 प्रतिशत हिंदू है. वहीं 91 फीसदी मुसलमान है. हैरानी की बात ये नहीं है कि, हिंदुओं की संख्या इतनी कम है बल्कि हैरान इस बात से है कि हर साल हिंदुओं की आबादी बांग्लादेश में घटती जा रही है. साल 1971 में यहां 13.5 प्रतिशत हिंदू थे लेकिन 1991 तक यह आंकड़ा 10 फीसदी के आसपास पहुंच गया और अब यह 8 फीसदी से भी नीचे जा चुका है.


