ट्रंप की 'टैरिफ तिकड़ी'... जिनके दिमाग ने दुनियाभर के आर्थिक सिस्टम को हिला डाला
ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाने के ऐलान से वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में हलचल मच गई है और 50 देशों ने इस पर चर्चा के लिए अमेरिका से संपर्क किया है. ट्रंप ने हालांकि, चीन को छोड़कर अन्य देशों के लिए 90 दिनों की राहत दी है. लेकिन जानकारों का मानना है कि इसका असर दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा और वैश्विक मंदी का खतरा बढ़ सकता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाने का ऐलान करने के बाद वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में हलचल मच गई है. व्हाइट हाउस से मिली जानकारी के अनुसार, टैरिफ पर चर्चा के लिए करीब 50 देशों ने अमेरिका से संपर्क किया है. हालांकि, ट्रंप ने चीन को छोड़कर अन्य देशों के लिए 90 दिनों की राहत देने का फैसला लिया है. ट्रंप के इस कदम ने ना केवल अमेरिकी बाजार बल्कि दुनिया भर की मार्केट में तनाव पैदा कर दिया है.
इस टैरिफ नीति को लागू करने में राष्ट्रपति के आर्थिक सलाहकारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. काउंसिल ऑफ इकोनॉमिक एडवाइजर्स (CEA) के तीन प्रमुख सलाहकारों ने इस फैसले के लिए रणनीति तैयार की थी, जिसने वैश्विक व्यापार में असंतुलन और अस्थिरता का माहौल पैदा किया है.
CEA का अहम योगदान
अर्थशास्त्र, व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में गहरी समझ रखने वाले 3 प्रमुख सलाहकारों ने ट्रंप की टैरिफ नीति को आकार दिया. ये परिषद राष्ट्रपति को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक नीतियों पर सलाह देती है और इसके फैसले राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर बड़े प्रभाव डालते हैं.
स्टीफन मिरान
स्टीफन मिरान, काउंसिल ऑफ इकोनॉमिक एडवाइजर्स के अध्यक्ष, एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री हैं. उन्होंने बोस्टन विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र और गणित में डिग्री प्राप्त की और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की. उनके मार्गदर्शन में, अमेरिका की आर्थिक नीतियों को नया दिशा देने की कोशिश की जा रही है. मिरान ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए कई रणनीतियां बनाई हैं, जिनका उद्देश्य अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना है.
पियरे यारेड और किम रूहल
पियरे यारेड और किम रूहल, जो काउंसिल ऑफ इकोनॉमिक एडवाइजर्स के सदस्य हैं, ट्रंप की टैरिफ रणनीति को प्रभावी बनाने में सक्रिय रूप से शामिल हैं. पियरे यारेड, जो कोलंबिया बिजनेस स्कूल में वरिष्ठ वाइस डीन हैं, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के विशेषज्ञ हैं. वहीं, किम रूहल, जो विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं, अमेरिकी अर्थव्यवस्था के कई पहलुओं पर गहरी नजर रखते हैं. इन दोनों के योगदान ने ट्रंप की टैरिफ नीति को सही दिशा दी है.
टैरिफ नीति के संभावित खतरे
ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक मंदी के खतरे को बढ़ा दिया है. जानकारों का मानना है कि इस नीति का असर ना केवल अमेरिका, बल्कि अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी पड़ेगा. हालांकि, ट्रंप के अधिकारी मंदी के जोखिम को कम आंक रहे हैं, लेकिन वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने जो टैरिफ रणनीति घोषित की थी, वो पूरी तरह से लागू होगी.
ट्रंप की नीति पर देश-विदेश से मिली प्रतिक्रिया
ट्रंप की इस टैरिफ नीति के खिलाफ विश्व भर से कई देशों की ओर से विरोध जताया गया है. 50 देशों ने व्हाइट हाउस से इस नीति पर वार्ता करने की मांग की है. इससे ये स्पष्ट है कि ट्रंप के फैसले ने न केवल अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया है. इस कदम के बाद वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर असर पड़ने की संभावना है.


