हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के एडमिशन पर रोक, ट्रंप प्रशासन का बड़ा फैसला
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की विदेशी छात्रों को दाखिला देने की अर्हता रद्द कर दी है. इससे लगभग 7,000 विदेशी छात्रों पर असर पड़ेगा, जिनमें करीब 800 भारतीय शामिल हैं. विदेशी छात्र यूनिवर्सिटी के कुल छात्रों का लगभग 27 प्रतिशत हैं.

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका की कई नीतियों में बड़ा बदलाव आया है, और अब इसका सीधा असर विदेशी छात्रों पर पड़ा है. ट्रंप प्रशासन के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS) ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की विदेशी छात्रों को दाखिला देने की पात्रता ही रद्द कर दी है. यानी अब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में नए विदेशी छात्र एडमिशन नहीं ले पाएंगे. यह फैसला गुरुवार को लिया गया और इससे वर्तमान में यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे 6,793 विदेशी छात्रों पर असर पड़ेगा, जिनमें भारत के 788 छात्र भी शामिल हैं. विदेशी छात्र यूनिवर्सिटी के कुल छात्रों का करीब 27 प्रतिशत हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, हार्वर्ड को विदेशी छात्रों से जुड़ी मौजूदा जानकारी अमेरिकी सरकार को 72 घंटे के अंदर देनी होगी. अगर यूनिवर्सिटी यह जानकारी समय पर नहीं देती तो विदेशी छात्रों को दूसरे कॉलेज में ट्रांसफर लेना पड़ेगा या अमेरिका छोड़ना होगा. DHS के मुताबिक, जब तक विश्वविद्यालय का SEVP (Student and Exchange Visitor Program) सर्टिफिकेशन न बहाल हो, तब तक वह नए विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं दे सकता.
रोक की वजह क्या है?
यह फैसला अचानक नहीं लिया गया. दरअसल, कुछ समय से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और DHS के बीच विदेशी छात्रों के रिकॉर्ड को लेकर खींचतान चल रही थी. DHS ने यूनिवर्सिटी को 30 अप्रैल तक समय दिया था कि वह विदेशी छात्रों के किसी भी अवैध या आपराधिक गतिविधियों से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड जमा कराए. यूनिवर्सिटी ने कुछ जानकारी दी, लेकिन प्रशासन उसे अधूरा और असंतोषजनक मान रहा है.
SEVP रद्द होने का मतलब
DHS अमेरिका में पढ़ने आए विदेशी छात्रों के लिए SEVP का संचालन करता है. इसके तहत कॉलेजों को छात्रों के लिए वीज़ा संबंधी कागज़ात जारी करने की अनुमति मिलती है. यदि कोई यूनिवर्सिटी इस सर्टिफिकेशन को खो देती है, तो वह नए विदेशी छात्रों को वीज़ा के लिए जरूरी I-20 फॉर्म नहीं दे सकती. इसका सीधा असर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा और वैश्विक छात्र समुदाय पर होता है.
अब आगे क्या?
यदि हार्वर्ड अगले कुछ दिनों में DHS की शर्तों को पूरा नहीं करता, तो मौजूदा विदेशी छात्रों को दूसरे संस्थानों में ट्रांसफर कराना पड़ेगा या उन्हें अमेरिका छोड़ना होगा. इस फैसले ने हजारों छात्रों के भविष्य को अनिश्चितता में डाल दिया है और अमेरिका की शिक्षा नीति को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.


