ट्रंप के बयान से भारत में एप्पल निवेश पर सस्पेंस, कंपनी ने जताया भरोसा
राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव के बावजूद एप्पल कंपनी ने भारत में अपने निवेश की प्रतिबद्धता दोहराई है. फॉक्सकॉन के जरिए कंपनी ने 1.5 अरब डॉलर के नए निवेश की घोषणा की. ट्रंप के बयान से भ्रम की स्थिति बनी, लेकिन एप्पल ने साफ कर दिया कि भारत में विस्तार की योजना जारी रहेगी.

हाल के दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणियों ने भारत के लिए असहज स्थिति खड़ी कर दी है. खासकर जब उन्होंने संकेत दिए कि एप्पल कंपनी भारत में अपना उत्पादन और न बढ़ाए. इस बयान के बाद भारतीय उद्योग जगत में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई थी, क्योंकि पहले से यह सहमति थी कि एप्पल अपने वैश्विक उत्पादन का लगभग 10% हिस्सा भारत में बनाएगी. ट्रंप के बयान ने इस योजना पर संदेह खड़ा कर दिया.
ट्रंप की टिप्पणी को अमेरिका और चीन के बीच 12 मई को हुए टैरिफ समझौते की रोशनी में भी देखा जा रहा है. अमेरिका ने चीन पर लगाए गए शुल्क को 145% से घटाकर 30% किया, वहीं चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क घटाकर 10% कर दिया. इस बैकग्राउंड में विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ट्रंप ने चीन से टैरिफ सौदे के तहत एप्पल को भारत में उत्पादन बढ़ाने से रोकने पर सहमति दी हो सकती है.
एप्पल का भरोसा: भारत में निवेश जारी रहेगा
ट्रंप के बयान के तुरंत बाद एप्पल ने भारतीय अधिकारियों को स्पष्ट किया कि उसकी भारत में निवेश योजना में कोई बदलाव नहीं है. कुछ दिनों बाद ही कंपनी ने अपनी सहयोगी फॉक्सकॉन के जरिए भारत में 1.5 अरब डॉलर (करीब 12,800 करोड़ रुपये) के निवेश की घोषणा की. इससे संकेत मिला कि एप्पल भारत में अपने उत्पादन का दायरा बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है.
भारत में एप्पल का विस्तार और सरकार की भूमिका
2017 से भारत में ‘मेक इन इंडिया’ और PLI योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को आकर्षित करने की रणनीति के चलते एप्पल ने यहां अपनी मौजूदगी बढ़ाई. तमिलनाडु और कर्नाटक में तीन यूनिटों के अलावा, यमुना एक्सप्रेसवे पर भी नई फैक्ट्री की योजना है. टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और फॉक्सकॉन जैसे साझेदारों के जरिए उत्पादन पहले ही तेज़ हो चुका है.
भारत बन सकता है चीन का विकल्प
चीन में श्रम सस्ता और जमीन सुलभ है, इसलिए एप्पल का 18-20% उत्पादन अब भी वहीं होता है. लेकिन चीन पर निर्भरता को घटाने के लिए एप्पल भारत को एक संभावित विकल्प मान रहा है. भारत में उत्पादन का बढ़ता हिस्सा एप्पल के लिए रणनीतिक रूप से अहम है और भारत के लिए भी यह वैश्विक स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग शक्ति बनने का मौका है.