नाइजीरिया में ईसाइयों पर बढ़ते अत्याचार को लेकर ट्रंप का सख्त रुख, देश को ‘विशेष चिंता वाला’ घोषित किया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नाइजीरिया को विशेष चिंता वाला देश घोषित करते हुए कहा कि वहां ईसाई समुदाय गंभीर खतरे में है.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को नाइजीरिया को विशेष चिंता वाला देश घोषित करते हुए कहा कि वहां ईसाई समुदाय गंभीर खतरे में है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर पोस्ट करते हुए आरोप लगाया कि नाइजीरिया में मुस्लिम और ईसाई समुदायों के बीच हिंसा लगातार बढ़ रही है.
ईसाई धर्म के अस्तित्व पर संकट
ट्रंप ने लिखा कि नाइजीरिया में ईसाई धर्म अस्तित्व के संकट से गुजर रहा है. हजारों ईसाइयों की बेरहमी से हत्या की जा रही है. इस नरसंहार के पीछे कट्टरपंथी इस्लामी समूह हैं. मैं नाइजीरिया को विशेष चिंता वाला देश घोषित करता हूं, लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है. जब किसी समुदाय को योजनाबद्ध तरीके से मिटाया जा रहा हो, तो कार्रवाई करना आवश्यक हो जाता है.
ट्रंप ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि जहां वैश्विक स्तर पर 4,476 ईसाइयों की हत्या हुई. वहीं अकेले नाइजीरिया में 3,100 लोगों की जान गई. उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों राइली मूर, टॉम कोल और हाउस अप्रॉपिएशंस कमेट से इस मामले की तत्काल जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आग्रह किया. डोनाल्ड ट्रंप ने जोर देकर कहा कि अमेरिका ऐसे अत्याचारों को नजरअंदाज नहीं करेगा और ईसाइयों की सुरक्षा के लिए कदम उठाएगा.
एक रिपोर्ट में बताया गया कि जून में नाइजीरिया के एक बिशप के गृह गांव पर हुए आतंकी हमले में 20 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. यह हमला उस समय हुआ जब बिशप ने अमेरिकी कांग्रेस के समक्ष नाइजीरिया में ईसाइयों पर हो रहे अत्याचारों की गवाही दी थी. इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिका के राजदूत-नामित मार्क वॉकर ने भी कहा कि अमेरिका को नाइजीरिया पर कूटनीतिक दबाव बढ़ाना चाहिए ताकि वहां बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके.
डोनाल्ड ट्रंप की पहल का स्वागत
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान उस समय आया है जब अफ्रीका के कई क्षेत्रों, विशेषकर नाइजीरिया के उत्तर और मध्य हिस्सों में, बोको हराम और अन्य चरमपंथी संगठनों की हिंसा बढ़ती जा रही है. धार्मिक संगठनों ने ट्रंप की पहल का स्वागत किया है, लेकिन कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह घोषणा राजनीतिक रूप से प्रेरित हो सकती है और इससे तत्काल स्थिति में सुधार की संभावना सीमित है.
डोनाल्ड ट्रंप का यह रुख अमेरिकी विदेश नीति में धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को फिर से केंद्र में लाता है और नाइजीरिया में चल रही मानवीय त्रासदी पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करता है.


