भारत की रफ्तार पर ट्रंप का टैरिफ ब्रेक फेल! अमेरिकी एजेंसी ने बताया भारतीय अर्थव्यवस्था की स्पीड का सीक्रेट
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसले के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा. S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा है कि भारत का सॉवरेन रेटिंग आउटलुक सकारात्मक बना रहेगा और विकास दर मजबूत रहेगी, क्योंकि अमेरिकी बाजार पर भारत की निर्भरता बेहद कम है.

US India Relations: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसले के बावजूद भारत की आर्थिक रफ्तार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. अमेरिकी एजेंसी S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने साफ किया है कि भारत का सॉवरेन रेटिंग आउटलुक सकारात्मक बना रहेगा और विकास दर मजबूत बनी रहेगी. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी बाजार पर भारत की निर्भरता बेहद कम है, इसलिए देश की अर्थव्यवस्था टैरिफ का झटका संभाल लेगी.
दरअसल अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के चलते भारत पर 50 फीसदी तक टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. इसमें से 25 फीसदी टैरिफ 7 अगस्त से लागू हो चुका है, जबकि बाकी 25 फीसदी 28 अगस्त से लागू होगा. इसके बाद भी S&P के डायरेक्टर यीफार्न फुआ का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती इस प्रभाव को आसानी से झेल लेगी.
व्यापार पर निर्भर नहीं भारत की अर्थव्यवस्था
S&P के अनुसार, भारत का व्यापार संरचना अमेरिकी टैरिफ से खास प्रभावित नहीं होगा, क्योंकि अमेरिका को भारत का निर्यात जीडीपी का केवल 2 फीसदी है. फुआ ने एशिया-पैसिफिक सॉवरेन रेटिंग्स पर वेबिनार में कहा, "लंबे समय में हमें नहीं लगता कि ये टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका होंगे."
GDP ग्रोथ पर असर की संभावना नहीं
पिछले साल मई में S&P ने भारत की सॉवरेन रेटिंग 'BBB-' को सकारात्मक आउटलुक दिया था, जिसका कारण था देश की मजबूत आर्थिक विकास दर. ताजा अनुमान के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2025 में भारत की GDP ग्रोथ 6.5% रहने की संभावना है, जो पिछले वर्ष के बराबर है. फुआ ने बताया कि फार्मास्यूटिकल्स और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे अहम निर्यात क्षेत्रों को टैरिफ से छूट दी गई है, जिससे असर और भी कम होगा.
निवेशकों का भरोसा बरकरार
जब निवेश पर संभावित असर को लेकर सवाल पूछा गया, तो फुआ ने बताया कि चीन प्लस वन रणनीति के तहत कंपनियां भारत में अपना कारोबार बढ़ा रही हैं. उनका उद्देश्य सिर्फ अमेरिका को निर्यात करना नहीं है, बल्कि भारत की बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करना भी है. कई कंपनियां भारत में इसलिए निवेश कर रही हैं क्योंकि यहां मध्यम वर्ग तेजी से बढ़ रहा है. जो लोग भारत में निवेश कर रहे हैं, उनका मकसद सिर्फ अमेरिकी बाजार नहीं है.


