गल्फ में सऊदी दबदबा! क्राउन प्रिंस सलमान ने दिखाया- अब खाड़ी में उन्हीं की चलेगी

यमन संकट को लेकर सऊदी अरब और UAE के रिश्तों में गंभीर तनाव पैदा हो गया, जब सऊदी दबाव और सैन्य कार्रवाई के बाद UAE को अपनी सेनाएं वापस बुलानी पड़ीं. इस घटनाक्रम को गल्फ क्षेत्र में सऊदी अरब के बढ़ते वर्चस्व और नेतृत्व की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

खाड़ी क्षेत्र के दो करीबी माने जाने वाले देशों सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के संबंधों में एक बार फिर तनाव खुलकर सामने आ गया है. लंबे समय तक रणनीतिक साझेदार रहे ये दोनों देश अब क्षेत्रीय वर्चस्व और भू-राजनीतिक हितों के टकराव में आमने-सामने दिख रहे हैं. 

सऊदी अरब की कमान जहां क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के हाथों में है, वहीं UAE का नेतृत्व राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद संभाल रहे हैं. यमन का गृहयुद्ध इस बार इन दोनों देशों के बीच बढ़ते मतभेदों का मुख्य केंद्र बन गया है.

अबूधाबी को 48 घंटे के भीतर सेनाएं हटाने का अल्टीमेटम

हालिया घटनाक्रम में हालात तब ज्यादा गंभीर हो गए, जब सऊदी अरब ने यमन में UAE से जुड़े सैन्य जहाजों पर हमला कर दिया. इसके साथ ही रियाद ने अबूधाबी को 48 घंटे के भीतर यमन से अपनी सेनाएं हटाने का अल्टीमेटम दिया. सऊदी दबाव के बाद UAE ने बिना किसी शर्त के अपनी फौज को वापस बुलाने का फैसला किया. इस कदम को सऊदी अरब की क्षेत्रीय ताकत और नेतृत्व की पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है, खासकर गल्फ सहयोग परिषद (GCC) के संदर्भ में.

सऊदी अरब ने इस सैन्य कार्रवाई के पीछे अपना पक्ष भी स्पष्ट किया है. रियाद का कहना है कि यमन के मुकल्ला बंदरगाह पर मौजूद UAE के जहाज कथित रूप से साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) को हथियार और सैन्य साजो-सामान पहुंचा रहे थे. सऊदी गठबंधन के प्रवक्ता मेजर जनरल तुर्की अल-मलिकी के अनुसार, जांच में सामने आया कि इन जहाजों में बड़ी संख्या में वाहन, हथियार और गोला-बारूद मौजूद था. यह सब सऊदी नेतृत्व को जानकारी दिए बिना किया गया.

सऊदी अरब का आरोप 

सऊदी अरब का आरोप है कि UAE ने STC को हद्रामौत और महरा जैसे संवेदनशील प्रांतों में सैन्य अभियान तेज करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसे रियाद ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा बताया. सऊदी नेतृत्व ने साफ शब्दों में कहा कि उसकी सुरक्षा से जुड़ी किसी भी ‘रेड लाइन’ को पार करने की इजाजत नहीं दी जाएगी.

तेजी से बदले हालात के बीच UAE के रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि उसने यमन में अपनी भूमिका की समीक्षा के बाद वहां से हटने का निर्णय लिया है. सऊदी कैबिनेट की बैठक के बाद यह भी उम्मीद जताई गई कि UAE भविष्य में यमन के किसी भी गुट को सैन्य या आर्थिक सहायता नहीं देगा.

विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम सऊदी अरब की उस रणनीति को दर्शाता है, जिसके तहत वह खुद को गल्फ क्षेत्र की प्रमुख ताकत के रूप में स्थापित करना चाहता है. हालांकि, इससे GCC देशों की एकता पर असर पड़ सकता है. UAE की वापसी से यमन में सऊदी स्थिति मजबूत हो सकती है, लेकिन लंबे समय में यह तनाव क्षेत्रीय राजनीति को और जटिल बना सकता है.

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