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परमाणु समझौते पर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका और ईरान आमने-सामने

ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर जमी जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिशों के बीच अमेरिका और ईरान के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मंगलवार को तीखी नोकझोंक देखने को मिली.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर जमी जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिशों के बीच अमेरिका और ईरान के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मंगलवार को तीखी नोकझोंक देखने को मिली. परमाणु समझौते की बहाली को लेकर दोनों देशों के रुख में गहरे मतभेद साफ नजर आए. अमेरिका ने प्रत्यक्ष बातचीत के लिए तैयार होने की बात कही, वहीं ईरान ने वाशिंगटन की शर्तों को सिरे से नकार दिया.

उप-दूत मॉर्गन आर्टेगस ने क्या कहा?

अमेरिका की ओर से मध्य-पूर्व मामलों की उप-दूत मॉर्गन आर्टेगस ने सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी नए या संशोधित परमाणु समझौते में ईरान को यूरेनियम संवर्धन की इजाजत नहीं दी जा सकती. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह शर्त क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है. अमेरिका का मानना है कि यूरेनियम एनरिचमेंट की प्रक्रिया ईरान को परमाणु हथियार बनाने की दिशा में ले जा सकती है, जिसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा.

इसके जवाब में संयुक्त राष्ट्र में ईरान के स्थायी प्रतिनिधि अमीर सईद इरावानी ने अमेरिका के इस रुख को एकतरफा और दबाव बनाने की कोशिश बताया. उन्होंने कहा कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के तहत ईरान को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए यूरेनियम संवर्धन का पूरा अधिकार है. इरावानी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ईरान धमकियों या शर्तों के आगे झुकने वाला नहीं है और अपने वैध अधिकारों की रक्षा करता रहेगा.

गौरतलब है कि परमाणु समझौते को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत पहले भी हो चुकी है. जून में ईरान और इजरायल के बीच हुए 12 दिनों के संघर्ष से पहले अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु मुद्दे पर पांच दौर की वार्ता आयोजित की गई थी. हालांकि, क्षेत्रीय तनाव और सैन्य घटनाओं के चलते यह बातचीत बीच में ही ठप हो गई. इसी अवधि में अमेरिका द्वारा ईरान के कुछ परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों ने हालात को और जटिल बना दिया.

 ईरान पर बढ़ा अंतरराष्ट्रीय दबाव

इस पूरे घटनाक्रम के बीच ईरान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ा है. सितंबर के अंत में यूरोपीय देशों की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने ‘स्नैपबैक’ तंत्र का इस्तेमाल करते हुए ईरान पर हथियार प्रतिबंध समेत कई पाबंदियां दोबारा लागू कर दीं. हालांकि रूस और चीन ने इस फैसले का खुलकर विरोध किया है. दूसरी ओर, ईरान लगातार इस बात से इनकार करता रहा है कि वह परमाणु हथियार बनाने की दिशा में काम कर रहा है. उसका कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है और ऊर्जा व वैज्ञानिक जरूरतों के लिए संचालित किया जा रहा है.

इस तरह सुरक्षा परिषद में हुई बहस ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि परमाणु समझौते की राह अभी आसान नहीं है और दोनों देशों के बीच विश्वास की खाई बनी हुई है.

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24 December 2025, 04:18 PM IST

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