यूक्रेन पीस प्लान सार्वजनिक, जानिए रूस के लिए क्या हैं अहम शर्तें
यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की कोशिशों के तहत अमेरिका और यूक्रेन ने कई हफ्तों तक चली बातचीत के बाद एक नई और संशोधित “यूक्रेन शांति योजना” का मसौदा तैयार किया है.

यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की कोशिशों के तहत अमेरिका और यूक्रेन ने कई हफ्तों तक चली बातचीत के बाद एक नई और संशोधित “यूक्रेन शांति योजना” का मसौदा तैयार किया है. पहले यह योजना 28 बिंदुओं पर आधारित थी, लेकिन यूक्रेन की आपत्तियों के बाद इसे घटाकर 20 सूत्रीय ढांचे में बदल दिया गया है.
23 दिसंबर को फ्रेमवर्क सार्वजनिक
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने 23 दिसंबर को पहली बार इस नए फ्रेमवर्क को सार्वजनिक किया. उनका कहना है कि पहले वाला मसौदा यूक्रेन के लिए अस्वीकार्य था, क्योंकि वह देश को व्यावहारिक रूप से आत्मसमर्पण की स्थिति में ले जाता था.
रिपोर्टों के मुताबिक, इस नई योजना के तहत यूक्रेन, अमेरिका और यूरोपीय देशों के बीच त्रिपक्षीय सुरक्षा गारंटी का प्रारूप तैयार किया गया है. इसके साथ ही यूक्रेन और अमेरिका के बीच एक अलग द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर भी काम हुआ है. एक अन्य दस्तावेज आर्थिक सहयोग से जुड़ा है, जिसे “यूक्रेन की समृद्धि का रोडमैप” नाम दिया गया है. जेलेंस्की ने कहा है कि इन सभी दस्तावेजों को अंतिम रूप देने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है.
क्या है अमेरिका की योजना?
अमेरिका की योजना है कि 24 दिसंबर को यह 20 सूत्रीय ड्राफ्ट रूस के सामने रखा जाए. यदि रूस इस पर सहमत होता है, तो अंतिम समझौते पर यूक्रेन, अमेरिका, यूरोप और रूस के शीर्ष नेताओं के हस्ताक्षर होंगे. यूरोपीय पक्ष से कौन-कौन से देश इस समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे, इस पर अभी फैसला नहीं हुआ है. समझौते पर हस्ताक्षर होते ही युद्धविराम लागू होने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि, इसके प्रभावी होने के लिए यूक्रेनी संसद की मंजूरी या फिर देश में जनमत संग्रह जरूरी होगा, जो 60 दिनों के भीतर कराया जा सकता है.
संशोधित योजना में यूक्रेन की संप्रभुता की पुष्टि, रूस के साथ गैर-आक्रामकता समझौता, अंतरराष्ट्रीय निगरानी तंत्र, यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी, सीमित लेकिन मजबूत सेना और यूरोपीय संघ की सदस्यता की दिशा में भविष्य की राह जैसे प्रावधान शामिल हैं. इसके अलावा युद्ध से तबाह इलाकों के पुनर्निर्माण, निवेश, ऊर्जा ढांचे के आधुनिकीकरण और आर्थिक बहाली के लिए बड़े पैमाने पर वैश्विक सहायता पैकेज का भी प्रस्ताव है.
सभी मुद्दों पर नहीं बन सकी सहमति
हालांकि, सभी मुद्दों पर सहमति नहीं बन सकी है. खास तौर पर दो बिंदुओं पर मतभेद बरकरार हैं. रूस के कब्जे वाले जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र का नियंत्रण और 2014 से संघर्षग्रस्त डोनबास क्षेत्र की स्थिति. इसके अलावा इस मसौदे में यूक्रेन की नाटो सदस्यता की आकांक्षा का स्पष्ट उल्लेख भी नहीं किया गया है.
कुल मिलाकर, यह नई शांति योजना रूस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने और युद्ध को रोकने की दिशा में एक बड़ा प्रयास मानी जा रही है, लेकिन इसकी सफलता रूस की प्रतिक्रिया और आगे की राजनीतिक सहमति पर निर्भर करेगी.


